दुर्लभ दक्षिणावर्ती शंख का प्रभाव

-जय महाकाल -


दुर्लभ दक्षिणावर्ती शंख का प्रभाव











दक्षिणावर्त  शंख के उपाय एवं फायदे 

इस संसार में अनेकों वस्तुएं ऎसी होती है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऎसी चमत्कारी वस्तुओं में दक्षिणावर्ती शंख भी एक है। शंख की महिमा और महत्तव प्रत्येक अनुष्ठान में विशेष रूप से हैं। साधारणत मंदिर में रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाज़ार में आसानी से ये कहीं भी मिल जाते हैं लेकिन दक्षिणावर्ती शंख एक दुर्लभ वस्तु है। शंख बहुत प्रकार के होतें हैं , लेकिन प्रचलन में मुख्य रूप से दो प्रकार के शंख है प्रथम वामवर्ती शंख...... दूसरा दक्षिणावर्ती शंख ... वामवर्ती शंख का पेट बांयी ओर को खुला होता है |

तंत्र शास्त्र में वामवर्ती शंख की अपेक्षा दक्षिणावर्ती शंख को विशेष महत्त्व दिया गया है | यह शंख वामवर्ती शंख के विपरीत इनका पेट दायीं ओर खुला होता है | इस प्रकार दायीं ओर की भंवर वाला शंख " दक्षिणावर्ती " कहलाता है | प्रायः सभी दक्षिणावर्ती शंख मुख बंद किये होते हैं | यह शंख बजाये नहीं जाते हैं , केवल पूजा रूप में ही काम में लिए जाते हैं | शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख के कई लाभ बताये गए है :-
दक्षिणावर्ती शंख को शुभ फलदायी और  बहुत पवित्र, विष्णु-प्रिय और लक्ष्मी सहोदर माना जाता है, मान्यता के  अनुसार यदि घर में दक्षिणावर्ती शंख हो तो सुख -समृद्धि वैभव  सदैव बनी रहती है. इस शंख को घर पर रखने से दुस्वप्नों से मुक्ति मिलती है. इस शंख को व्यापार स्थल पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है. पारिवारिक वातावरण शांत बनता है.


शंख के विशेष फायदे 

- राज सम्मान की प्राप्ति
- लक्ष्मी वृद्धि
- यश और कीर्ति वृद्धि
- संतान प्राप्ति
- बाँझपन से मुक्ति
- आयु की वृद्धि
- शत्रु भय से मुक्ति
- सर्प भय से मुक्ति
- दरिद्रता से मुक्ति
- और भयानक स्वप्न से छुटकारा 

ये सब इस शंख को पूजा घर में रखने से फायदे होते हैं। ..!

दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उसे जिसके ऊपर छिड़क दिया जाये . वह व्यक्ति तथा वस्तु पवित्र हो जाता है |
 सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधिसे सिद्ध कियाहुआ दखिन शंख को   लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में अलग-       अलग स्थान पर रखें तो हर तरह की परेशानियों का हल हो सकता है।

दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी मे रखा जाए तो घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
वास्तु-दोषों को दूर करता है
दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार में रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती। शयन कक्ष में इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।

 इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

एवं  किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।

 तंत्र शास्त्र के अनुसार  तंत्र प्रणाली से सिद्ध   किया हुआ दक्षिणावर्ती शंख  विशेष कारगर होता हे शंख को  जल में रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है और भाग्य का दरवाजा खुल जाता है। साथ ही धन संबंधी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया  है। इसमें कोई संदेह नहीं। ..

अगर कोई मित्र बंधू इस शंख को प्राप्त करना चाहे तो अवश्य प्राप्त कर सकता हैं। ..!



ईमेल - gurushiromani23@gmail.com 

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दुर्लभ ११ मुखी रुद्राक्ष

जय महाकाल -


सिद्ध ११ मुखी रुद्राक्ष के उपयोग


दुर्लभ ११ मुखी रुद्राक्ष



ग्यारह मुखी रुद्राक्ष साक्षात रूद्र के सामान माना जाता है. इसे एक मुखी रुद्राक्ष का प्रतिरूप भी कहा जाता है. यह एकादश मुखी रुद्राक्ष सुख समृद्धि दायक होता है. इसे धारण करने से सभी कार्यो में सिद्धि प्राप्ति होती है. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष आध्यात्मिक प्रभाव से युक्त माना गया है. इसे ग्यारह रुद्रों एवं भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हनुमान जी का प्रतीक भी कहते हैं.

ग्यारहमुखी रुद्राक्ष एक सौ सहस्त्र गायों के सम्यक दान के बराबर फल प्रदान करने वाला है. इस रुद्राक्ष पर इन्द्र का स्वामित्व है. अत: इसे धारण करने से प्रसन्नता,  ऎश्वर्य एवं यश की प्राप्ति होती है. इसके द्वारा इन्द्रियाँ एवं मन नियंत्रित रहते हैं.  यह योग साधना, यम - नियम , आसन - षटकर्म  तथा अन्य यौगिक क्रियाओ में सहायक है.

एकादश मुखी रुद्राक्ष के लाभ |**********************************************

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का उपयोग एवं पूजन से एकादशी व्रत के समान फल प्राप्त होता है. इस रुद्राक्ष को शिखा में धारण करने से हजार अश्वमेध यज्ञ, वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. स्त्रियाँ इसे पति की लंबी उम्र एवं संतान प्राप्ति हेतु धारण कर सकती हैं. सावन में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की पूजा अमोघ फलदायी होती है. इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. एकादशमुखी रुद्राक्ष धारण करने से अभाव नहीं रहता, सभी संकट व  कष्ट दूर हो जाते हैं. यह रुद्राक्ष धारक को उचित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है.  विशेष कर हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती हैं।  बल, बुद्धि प्रदान करता है, ध्यान-साधना इत्यादि में उपयोगी है.

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ |************************************************
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का उपयोग अस्थमा एवं सांस से संबंधित बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है. मस्तिष्क सम्बन्धी विकारों को दूर करता है. संक्रामक रोगों के नाश के लिए तथा शरीर को बलिष्ट व निरोगी बनाने में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होता है.

हमारे यहाँ इस रुद्राक्ष को विशेष तंत्र प्रणाली से सिद्ध कर के साधक के नाम पर दिया जाता हैं। .

अगर कोई इच्छुक साधक इस रुद्राक्ष को प्राप्त करना चाहे तो ,अवश्य कर सकता हैं






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चमत्कारी काले घोड़े की नाल -

जय महाकाल ।। 


चमत्कारी काले घोड़े की नाल -









 काले घोड़े की नाल


वास्तुदोष दूर कर आपकी किस्मत भी चमका सकती है----काले घोड़े की नाल के चमत्कार सुनकर आप अचंभित रह जायेंगे। ..

काले घोडे की नाल शनि को लोहा प्रिय है, किन्तु शनिवार को लोहा घर में नहीं लाया जाता। जिस धातु को शनि सर्वाधिक पसंद करते हैं, उसी धातु का घर में शनिवार को आना पीडादायक और कलहकारक सिद्घ होता है। ऎसा तभी होता है जबकि निजी उपयोग के लिए शनिवार को लोहा  खरीदा जाये या घर में लाया जाये, लेकिन पूजा करने हेतु अथवा विधिपूर्वक धारण करने हेतु लोहा प्राप्त किया जाये तो शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को लोहे के दान से भी शनि की प्रसन्नता होती है। शनिदेव के अशुभ प्रभावों की शांति हेतु लोहा धारण किया जाता है किन्तु यह लौह मुद्रिका सामान्य लोहे की नहीं बनाई जाती। वही नाल होती है, जो नाल स्वत: ही घोडे के पैरों से निकल गयी हो, उस नाल को शनिवार को सिद्घ योग  में प्राप्त की जाती है और फिर इसका उपयोग विविध प्रकार से किया जाता है।

व्यापार वृद्घि : व्यापार वृद्घि के लिए घोडे की नाल को शनिवार को प्राप्त कर, उसका शुद्घिकरण करके, धूप-दीप दिखाकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में ऎसी जगह लगाया जाता है, जहाँ से प्रत्येक ग्राहक को वह स्पष्ट दिखाई देेवे। नाल को इस प्रकार लगाया जाता है कि उसका खुला भाग ऊपर की ओर रहे। प्रतिदिन इस नाल पर धूप  किया जाता है।  स्वास्थ्य वृद्घि व अनिष्ट शांति  हेतु  : घोडे की नाल को कटवाकर, उसकी गोल छल्लेनुमा अंगूठी बना ली जाती है।और इस अंगूठी को हमारे यहाँ तांत्रिक प्रणाली से सिद्ध करके दिया जाता हैं   इस अंगूठी को  मघ्यमा (बीच की बडी) अंगुली में पहन लिया जाता है। इस अंगूठी के धारण करने से शनिदेव जनित अनिष्ट कम हो जाते हैं और स्वास्थ्य में वृद्घि होती है, आय में वृद्घि होती है, मानसिक उद्वेग शांत हो जाता है।

काले घोड़े की नाल की विशेषता :-
शत्रु एवं शनि पीड़ित लोग काले घोड़े की नाल के छल्ले का प्रयोग करें तो उत्तम लाभ होता है।(यह छल्ला तब काम करता हैं जब उसे तांत्रिक विधि से परिपूर्ण हो।) . हमारे यहाँ काले घोड़े की मुद्रिका को सिद्ध करके  साधक के नाम पे दिया जाता हैं। . !इस मुद्रिका को   दाहिने हाथ की (मध्यमा) उंगुली में धारण करना चाहिए। लोगों की बुरी नजर से बचने का अत्यन्त सटीक उपाय है ध्यान रखेंना चाहिए वह छल्ला एकदम शुद्व एवं प्रमाणिक होना चाहिए। तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है घर तथा कार्य स्थान के मुख्य दरवाजे के ऊपर अन्दर की ओर u के आकार में लगाई गई काले घोड़े के नाल उस स्थान की सभी प्रकार तांत्रिक प्रभाव जादू-टोने, नजर आदि से रक्षा करती है। तंत्र क्रियाओं में अनेक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। काले घोड़े की नाल भी उन्हीं में से एक है। ऐसा मानते हैं कि तंत्र प्रयोग में यदि काले घोड़े की नाल का प्रयोग किया जाए तो असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार वैसे तो किसी भी घोड़े की नाल बहुत प्रभावशाली होती है लेकिन यदि काले घोड़े के अगले दाहिने पांव की पुरानी नाल हो तो यह कई गुना अधिक प्रभावशाली हो जाती है।काले घोड़े की नाल एक ऐसी वास्तु है जो शनि समबधित किसी भी पीड़ा जैसे शनि की अशुभ दशा, ढैया, साढ़ेसाती शनि का कोई अशुभ योग आदि..हर पीड़ा में एकदम  चमत्कारी रूप से कारगर साबित होती है लेकिन वह तांत्रिक क्रिया से सिद्ध की गयी हो उसके अंदर प्राण प्रतिष्ठा की गयी हो वह काम करती हे

इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-


आपके दुर्भाग्य को भगाए घोड़े की नाल
 

घोड़े की नाल घोड़े की गति बढ़ाने में तो खास भूमिका निभाती ही है, वास्तुदोष दूर कर के आपकी किस्मत  घोड़े की तरह दौड़ने लगेगी नाल को सामान्यत: धातु से निर्मित किया जाता है। कभी-कभी इसे आधुनिक सिंथेटिक साम्रगी से भी बनाया जाता है। इसे घोड़े की खुर की रक्षा करने के लिए लगाया जाता है। अलबत्ता घोड़े की नाल का उपयोग महज इतना ही नहीं है। लोहे से बनी यह सामान्य सी वस्तु बेहद चमत्कारी है। इसे स्थापित करने से बीमारी और दुर्भाग्य दूर रहता है। माना यह भी जाता है कि घोड़े की नाल जादू-टोने व बुरी नजर से भी रक्षा करती है।
। इसे बनाने के लिए आग का प्रयोग किया जाता है, घोड़े की नाल से जुड़ा एक और पहलू है। अर्ध चन्द्रमा रूपी इसके आकार के कारण इसे चन्द्र देव का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि घोड़े की नाल को स्थापित करने से चन्द्रमा मजबूत होता है। फलस्वरूप घर में बेहतर स्वास्थ्य, शांति और खुशहाली का माहौल बनता है। दिलचस्प तथ्य यह है कि घोड़े की नाल को एक गैजेट के रूप में विदेशी लोग भी पसंद करने लगे  लोकप्रियता बढ़ी है। घोड़े की नाल को मुख्य प्रवेश द्वार पर अथवा लिविंग रूम के प्रवेश द्वार पर ऊपर व बाहर की ओर लगाना चाहिए।

इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं :-

. यदि घर में क्लेश रहता हो, आर्थिक उन्नति नहीं हो रही हो या किसी ने तंत्र क्रिया की हो तो घर के मुख्य द्वार पर नाल को अंग्रेजी के यू अक्षर के आकार में लगा दें। कुछ ही दिनों में नाल के प्रभाव से सब कुछ ठीक हो जाएगा।
. यदि किसी कार्य में अड़चन आ रही हो तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को विधिपूर्वक दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें। आपके बिगड़े काम बन जाएंगे और साथ ही धन लाभ भी होगा।
  काले वस्त्र में लपेट कर अनाज में रख दो तो अनाज में वृद्धि हो |
. काले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रख दो तो धन में वृद्धि हो |
. अंगूठी या छल्ला बनाकर धारण करे तो शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिले |
. द्वार पर सीधा लगाये तो दैवीय कृपा मिले |
. द्वार पर उल्टा लगाओ तो भूत, प्रेत, या किसी भी तंत्र मंत्र से बचाव हो |
. काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और शनि पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर में चारो पायो में लगा दे |
. काले घोड़े की नाल से एक कील बनाकर सवा किलो उरद की दाल में रख कर एक नारियल के साथ जल में प्रवाहित करे |



हमारे यहाँ काले घोड़े की नाल तांत्रिक पद्धति से सिद्ध कर के दिया जाता हे साधक के नाम पर। .!



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दुर्लभ एकमुखी रुद्राक्ष 

जय महाकाल ।। जय अलख आदेश


दिव्य एक मुखी रुद्राक्ष - दुर्लभ एकमुखी रुद्राक्ष 






एकमुखी रुद्राक्ष दिव्य  और दुर्लभ हैं यह  गोलाकार में मिलना बहोत कम  ही उपलब्ध हो पाता हैं।


एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का प्रतीक माना  जाता है | इसे धारण करने वाले पर भगवान शिव की विशेष  कृपा रहती है | इसे सभी प्रकार के रुद्राक्षों में दुर्लभ माना गया है | यह मन की एकाग्रता बढाता  है और अध्यात्म में रूचि जगाता है |

एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ मन की एकाग्रता , शिवकृपा, सूर्य ग्रह की अनुकूलता, सूर्यकृत अशुभ योगो का नाश यदि जन्मपत्रिका में सूर्य नीच या ख़राब स्थिति में हो या फिर ग्रहण योग का निर्माण कर रहा हो अथवा सूर्य ग्रह की दशा चल रही हो तो इस रुद्राक्ष को धारण करना बहुत ही लाभदायक एवं  अच्छा होता है | यदि आप राजनीति में सफलता चाहते हैं तो भी यह आपके लिए बहोत  लाभदायक रहेगा | इसे धारण करने वाले को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति  होती  है.

एक मुखी रुद्राक्ष काजू के समान अर्थात अर्धचंद्राकार स्वरुप में प्राप्त होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष गोल आकार में सरलता सेउपलब्ध नहीं हो पाता  हैं। क्योकि गोलाकार में एकमुखी रुद्राक्ष मिलना दुर्लभ है ।स्वयं शिव का स्वरूप माने जाने वाला यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करने वाला होता है (. इस रुद्राक्ष को साधक के नाम पर तांत्रिक विधि से सिद्ध कर के दिया जाता हैं )
 इससे हर प्रकार की सिद्धि मिलती हैं , धन धान्य ऋद्धि सीधी    मंत्र -तंत्र सिद्धि में भी एकमुखी रुद्राक्ष कारगर साबित  होता हैं



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ग्रह दोष नाशक तांत्रिक प्रयोग एवं भाग्य उदय। Bhagya Uday

जय महाकाल - 


ग्रह दोष नाशक तांत्रिक प्रयोग -



मित्रों को। पता होगा की आज के भाग दौड़ के जीवन में। .मनुष्य उलझ कर रह गया हैं , समस्या के घेरे में किसी को नौकरी की चिंता ,किसी को काम धंदे की चिंता, किसी को शादी विवाह की चिंता ,किसी को घर में बढ़ते हुए कलेश की चिंता , मित्रो अपने जीवन में विशेष ग्रहों का विशेष प्रभाव होता हैं , अगर ग्रह गोचर सही नहीं हो, या कहिये ग्रहों की चाल सही नहीं हो , तो मनुष्य को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता हैं , यहाँ तक की कभी सोचा नहीं ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती हैं , कोर्ट कचहरी तक मामला पहुँच जाता हैं , ये सब हमारी जानकारी के बहार कोई ऐसी एनर्जी जो ग्रहों से सम्बंधित हैं , जो हमारे जन्म के वक्त दूषित ग्रहों का कू प्रभाव के वजह से झेलना पड़ता हैं ,लेकिन घबराने की कोई आवशकता नहीं प्रकृतिने श्रिष्टि की रचना की हैं , तो उसमे कई सारे उपाय  भी दिए हैं, शनि ,मंगल , राहु ,केतु ,बृहस्पति ,सूर्य जो भी दूषित ग्रह हो वो अनुकूल हो जाता हे ,  जो सही समय पर उपाय  करने से उनका निवारण किया जा सकता हैं   , बशर्ते उस को उचित पद्धति से करने के बाद , वह समस्या हल होजाती हैं। . ठीक उसी तरह नवग्रहों की बात भी है , तंत्र प्रणाली में इन नवग्रहों के दूषित प्रभाव को हटाने का सटीक एवं गुप्त प्रयोग हैं | जो गुरु मुख से प्राप्त हैं वह  प्रयोग सार्वजनिक तौर पर  यहाँ नहीं दे सकते  अगर कोई साधक या व्यक्ति ऐसे परिस्थिति से गुजर रहे हो  वे  हमसे अवश्य  परामर्श ले सकते हैं  उपाय हम आपको अवश्य बता  सकते हैं।  आप इसे सच्चे दिल से , उपयोग में लाये और अपना जीवन मंगल मै करे। .  एक बार अवश्य अनुभव कर के देखे। .... !

 || जय महाकाल || 


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