सट्टे का नंबर जितनेका ताबीज 



जय महाकाल-



सट्टे का नंबर जितने का नायाब  ताबीज 


मित्रों आज आपके लिए एक विशेष सट्टे का नंबर जितने का। ख़ास  ताबीज। यहाँ दे रहा  हूँ। जो एक तिलिस्मी ताबीज हैं... ( जो लोग जुए, मटके,बॉन्ड , इत्यादि  जितने  का शौक रखते हैं उन लोगो के लिए ये कारगर हैं । .. आपक लोगो के  कहने पर इस साधना  को पोस्ट कर रहा हूँ  .. मित्रो इस ताबीज को विशेष तांत्रिक क्रिया  से सिद्ध कर के दिया जाता हैं। . जैसे इसको आप धारण करेंगे तो आपको स्वप्न के माध्यम से नंबर पता चलने लगता हैं। . मित्रों कुछ नियमो के बारे में बताना चाहूंगा। .. सबसे पहले इस क्रिया विशेष पर पूरी  श्रद्धा होना जरुरी हैं , अन्यथा सफलता नहीं मिलेगी। .   इस क्रिया से मिलने वाले पेसो का उपयोग सबसे पहले गरीबो में , भूखे बच्चो के लिए करना हैं। .. कुछ मंदिर के गुल्लक में दान करना हैं फिर स्वयं के लिए उपयोग में ला सकते हो। ... अन्यथा फलीभूत नहीं होगा ध्यान रहे। .. इस ताबीज को धारण करने की कुछ ख़ास विधि हैं। .. उस तरीके से धारण करने पर शत  % प्रतिशत ये काम करता हैं ... इसमें कोई शक नहीं। . बहोत बार लोगो द्वारा आजमाया हुआ ये ताबीज हैं। .. 









सट्टा या जुआ खेलना बुरी बात हैं हम उसका समर्थन नहीं करते मगर मनोरंजन के दृष्टि कोण से खेलना बुरी बात नहीं 

ताबीज धारण करने की विधि - अगर कोई व्यक्ति इस ताबीज और उस विधि को प्राप्त करना  चाहता हो। .  तो निचे दिए गए क्रमांक पर संपर्क करे। .. 



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गुप्त धन शोधन निकालने की विधि। hidden Treasure


जय महाकाल मित्रों -



जय महाकाल मित्रों -





 मित्रो  अपना भारत देश इतना समृद्ध देश हैं , जिस में एक ज़माने में सुवर्ण की बरसात अथवा सोने के महल  होने का   उल्लेख गया  किया हैं। .. जैसे की रावण की सोने की लंका होना का पुराण में उल्लेख हैं। .. ऐसी बहोत सी पुराने गढ़े धन के बारे में जिक्र मिलता हैं। .. ये गढ़ा धन आता कहाँ से हैं। . मित्रों मुगलो के राज्य में उनका लूटपाट मचाने का काम हुआ करता था। .... फिर लुटे हुए धन को ठिकाने लगाने क लिए। .. उस पर तंत्र क्रिया  के जरिये उस पर भूत पिशाच , सांप , चुड़ैल , अला बाला इत्यादि को उस धन के रक्षण के लिए बिठा दिया जाता था। .. बस वोही वस्तु आज तक चली आरही हैं 
                       
वैसे  तो जमीन में गढ़े धन  खजाने को ढूंढने के लिए कई आधुनिक  उपकरण भी आ गए हैं फिर भी भारतीय तांत्रिक ग्रन्थों के अनुसार कुछ ऐसे संकेत होते हैं जिन्हें देख कर उस जगह पर गढ़ा धन छिपा होने का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। परंतु ऐसे धन को प्राप्त करना जटिल होता है


पुरातन ग्रन्थ  में कहा गया है कि जहां की मिट्टी में कमल के फूल जैसी सुगंध  आती है, वहां पर धन-सम्पदा छिपी होने के आसार होते  है। इसी प्रकार यदि किसी स्थान विशेष पर बाज, कौआ, बगूला  या अन्य बहुत सारे पक्षी बैठते हैं, वहां भी जमीन में धन छिपा होता है...... ।परंतु ऐसे धन को प्राप्त करना जटिल होता है

शास्त्र में कहा गया है कि यदि किसी जगह बहुत सारे पेड़ हो लेकिन उनमें भी किसी एक पेड़ पर ही पक्षी बैठते हों। इसमें भी यदि उस पेड़ पर बाज और कबूतर जैसे एक दूसरे के शत्रु जानवर एक साथ बैठे दिखाई दें तो उस जगह पर निश्चित ही जमीन में धन छिपा होता है।

कौतुक रत्न  ग्रन्थ  में लिखा गया  है कि जो भूमि आसपास कोई जल का स्त्रोत नहीं होने पर भी सूखे नहीं बल्कि नम दिखाई दे। साथ ही आस पास किसी काले सर्प के होने की निशानी मिले तो वहां पर जमीन में धन छिपा हुआ होता है।मित्रों, कई बार हमें किसी स्थान पर गडे हुये धन के होने का अन्देशा होता है । बिना किसी ठोस आधार एवं दिव्य ज्ञान के उस स्थान को खोदने की गलती भी कर बैठते हैं, जो नहीं करनी चाहिये ।। इससे जान का खतरा होता हैं। . इसे आजमाना नहीं चाहिए। .. 


धन कैसे निकाले उसकी विधि -

अगर आपको ऐसा लगता हैं की कोई जगह  संदेहास्पद हैं। . तो ऐसे   स्थिति में नित्य संध्याकाल के समय जहां धन का अंदेशा हो वहां एक। .(..कल्पतरु नामक पौधे के बीजों के  ) . विशेष बीजों के तेल का दीपक जलाना चाहिए  ये बीजों का तेल बहोत ही दुर्लभ हैं  ..

ऎसा लगातार 40 दिनों तक करने से। .  40 दिनों के भीतर ही यदि वहां धन होगा, तो दीपक जलाने वाले को स्वप्न के माध्यम से उसे जानकारी  प्राप्त हो जाती है ।।

स्वप्न में ही उसे खोदना है अथवा नहीं, यह भी निर्देश लगभग मिल जाता है । अगर उस बन्दे के पास ( कल्पतरु नामक वनस्पति के बीजों का तेल हो )  


इस तरह छिपाकर रखे गए सभी धन के भंडार प्राय: मंत्रों से बांध कर रखे जाते हैं जो सहज  नहीं प्राप्त होता  । तंत्र शास्त्रों के अनुसार इस तरह के धन को प्राप्त करने के लिए विशेष मंत्रों का प्रयोग कर उस खजाने को उनके अदृश्य रक्षकों से मुक्त करवाना होता है। कई बार इसमें धन के रक्षक प्रेत या आत्मा को बलि भी देनी होती है तो कई बार यह बिना किसी मेहनत के ही मिल जाता है।



जमीन में गुप्त रूप से छिपाया गया धन अक्सर तांत्रिक विधियों से निकाला जाता हैं। .. अक्सर  उसके ऊपर के जिन्न ,भूत , प्रेत , चुड़ैल , खबीज , या बड़ा सांप , हमेश मंडराते हैं। .उनको हटाने के लिए। किसी . पहुंचे हुए तांत्रिक की की मदत लेना आवश्यक हैं   । इसीलिए उसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति  को दिल दिमाग से उतना ही मजबूत होना चाहिए। यदि वह कहीं भी हिम्मत हार जाता है तो उसकी जान जाने का खतरा हो  सकता  है... अथवा   वह पागल हो सकता है। बेहतर यही होगा कि खुद ऎसे प्रयोग करने के बजाय किसी अनुभवी सिद्ध गुरु  की शरण लें। उनके निर्देशन में इस कार्य को करे। .. 


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  ( विशेष नोट )  - गुप्त धन बिना किसी कानूनी निर्देश के निकालना कानूनन जुर्म हैं 


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काम्यासिन्दूर तंत्रोपयोगी Kamya Sindoor


जय महाकाल 


 - काम्यासिन्दूर तंत्रोपयोगी - 

आज मैं आपको एक सत्य से अवगत कराने जा रहा हूँ , जो की आम साधक इस सत्य से अनजान हैं। .. और वो दुविधा में हैं। . मित्रों बात करते हैं काम्य सिन्दूर की। . काम्य सिन्दूर एक ऐसी वस्तु हैं  अगर किसीको  प्राप्त हो जाये तो समझो साक्षात् माँ कामाक्षा की कृपा ही समझो। .. अष्ट लक्ष्मी और ९ निधि उसके पास हैं। . मगर इस को प्राप्त करने क लिए आपने कितने  पाप  पुण्य किये उस पर निर्भर करता हैं। . असम के नीलांचल पर्वत पे माँ कामक्ष्या का सिद्ध पीठ हैं जो की तांत्रिको का पुरातन गढ़ माना जाता हैं। . उस माँ के मंदिर में उसके गर्भ से ये काम्य सिन्दूर प्राप्त होता हैं। 

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 कामाक्षा में  साल में  एक बार माँ को रजस्वला होती हैं। .  ३ दिन के लिए  उस रजस्वला के वक्त माँ के उस पिंड को लाल  कपडे से ढक दिया  जाता हैं। . ३ दिन तक मंदिर के कपाट  बंद रखा जाता हैं। . और उसके बाद जो माँ के रज से भीगा हुआ कपडा प्राप्त होता हैं वो  काम्यासिन्दूर कहलाता हैं। . उस असली रज का कपडा प्रशाद के रूप में बाँटा जाता हैं। .. मगर उसका असली रज का कपडा सिर्फ  बड़े बड़े अधिकारी गण मंत्रियों vip लोगो में बाँट दिया जाता हैं। .. बाकि आम भक्तोमे जो दिया जाता हैं। .. वो माँ के पिंड का लाल सिन्दूर से भीगा हुआ वस्र होता हैं । .. वो भी पवित्र कहलाता हैं। . क्यों की रज की मात्रा इतनी नहीं निकलती के वहां आने जाने वाले लाखो भक्तों को वो कपडा मिल जाएँ। ..(  मगर इंटरनेट google पे तो झूठे दावे दिए जा रहे हैं। के . हमारे पास ओरिजिनल हैं ये हैं वो हैं किलो किलो में हैं इनके पास ) जैसे के  माँ ने इनको अपनी डिस्ट्रीब्यूटर शिप दे रखी हैं  इन व्यपारिओंको कोई पाउडर की फोटो डाल कर विज्ञापन दे रहा हे कोई डिबिया में सजा कर विज्ञापन दे रहा हैं सब गूगल पे ढोंग धतूरा चल रहा हैं। . लोगो को बेवकूफ बनाया जा रहा हैं। . ..


असली काम्या सिन्दूर क्या हैं। .. मित्रों  दरसल ये ज्वालामुखी के पेट से  विस्फोट के बाद निकलने वाला खनिज पत्थर का एक  स्राव हैं। .. दो चट्टानों के बिच  के लावे से निकलनेवाला एक चमकीला तरल पदार्थ हैं। .. जो सूखने के बाद ऊपर दिए गए चित्र की तरह दीखता हैं। . जो तंत्र के कामो में बहोत उपयोगी हैं।( ये भी बहोत दुर्लभ हैं और मेहेंगा मिलता हैं।) .  .. जिनको इसका उपयोग पता हैं वोही इसे समझ पाते हैं। .. बाकि सब भूल भुलैय्या में उलझे हुए हैं। . हाँ एक बात अवश्य हैं ये खनिज पत्थर भी कमिया सिन्दूर के नाम से जाना जाता हैं। . जिसके पास ये असली सिन्दूर हैं वोह इस सिन्दूर से बहोत सारे काम कर सकते हैं। .. वशीकरण, से लेकर , मारण, मोहन उच्चाटन, भी कर सकता हैं। ये दुर्लभ  काम्य सिन्दूर हमारे यहाँ उपलब्ध हैं। . अगर कोई साधक इसे प्राप्त करना चाहे  तो अवश्य प्राप्त कर सकता हैं  .. बस उसे इस विद्या का ज्ञान होना चाहिए। ..अपितु साधको से निवेदन हैं के अपने सूझ बुझ से काम ले। .. और नकली सिंदूर लेने से बचे। .

जय महाकाल -



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सुरमा मोहिनी विद्या

जय महाकाल

सुरमा मोहिनी विद्या -


जय महाकाल । .....  मित्रों सुलेमानी तंत्र विद्या में ये एक  कमाल की और बहोत ही जल्द असर दिखाने वाली अति प्रभावी दुर्लभ विद्या हैं , बस इसके सही नियम को समझना और इस विद्या को सही तरी केसे करना। .. यही इस विद्या के सफलता का सूत्र हैं। .....  इस विद्या को साधने के बाद  व्यक्ति को किसी  भी अधिकारी, अफसर , पुरुष महिला वर्ग, जनसभा  इत्यादि को सम्मोहित करने की क्षमता प्राप्त हो जाती हैं इसमें कोई संदेह नहीं। ..... 





मंत्र -  

,, ...     .... .... .... ...... ......... करू सलाम। . .. .. मेरी आँखों में सुरमा बसे। ...... .... 
सो पायन पड़े दुहाई। ..... ... ..... ...... ......   दस्तगीर की। .. छू छू छू 




विधि - .... अमुक दिन। .... एक प्रकार का  धान ले कर उस पर  निर्देशित संख्या में जाप करना हैं। ..उस धान  के कुछ दाने ले कर उनको पिसवा कर। .. उस आटें को उपयोग में  लाना हैं।  उसमे .. १५० ग्रॅम  देसी गाय के  शुद्ध घी को उपयोग कर के हलुवे का भोग लगाना हैं ...... नौचंदी की कोई भी  रात एक खंजन का सुरमा तैयार करना हैं। .. उस सुरमे को इस मंत्र से अभिमंत्रित करना हैं। ... फिर उसमे घृत और ऊद मिला कर। .. २१ बार मंत्र पढ़ कर फूंक देना हैं। लो हो गया सम्मोहन का सुरमा ... इसके पश्चात् इस सुरमे को इस्तेमाल में लाया  जा सकता हैं। इससे ... तीव्र सम्मोहन हो जाता हैं। .. 

इस मंत्र के कुछ अंशो को सुरक्षित रखा गया हैं। ... क्यों की कोई इसका दुरूपयोग ना करे।  ... 




विशेष नोट -
( इस मंत्र के विधि विधान के लिए इच्छा रखने वाले साधको के लिए  नियमानुसार  गुरु अनुमति  (  आवश्यक हैं ) ... अन्यथा इस मंत्र के लिए नाहक फोन ना करे। ... )



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नवग्रहों के एवं  राशि के रत्न 


नवग्रहों के रत्न  - एवं  राशि के रत्न 


जय महाकाल 

मित्रो - 

नवग्रहों और उनके अलग-अलग रत्न होते है और किसी योग्य रत्न चिकित्सक  की उचित सलाह से ही रत्नों को धारण करना चाहिये। गलत या मनमर्जी से रत्न धारण करने से परेशानी  उत्पन्न हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं रत्न ज्योतिष  शास्त्र में अलग-अलग ग्रहों के अलग-अलग रत्नों को सूचित किया  गया है।
कौन सा ग्रह और कौन सा उचित रत्न उस व्यक्ति के लिए होगा उसका सटीक ज्ञान होना आवश्यक हैं। .. ( अन्यथा गलत रत्न धारण करने से उस रत्न का दूषित परिणाम घातक साबित होता हैं। .. रत्नो की गुणवत्ता एवं शुद्धःता आवश्यक हैं। .. 






* सूर्य ग्रह - माणिक्य रत्न

* चंद्रमा ग्रह - मोती

* मंगल ग्रह - मूंगा

* बुध ग्रह- पन्ना

* बृहस्पति ग्रह - पुखराज

* शुक्र ग्रह- हीरा

* शनि ग्रह- नीलम

* राहु ग्रह- गोमेद

* केतु ग्रह- वैदूर्य
 


माता भूमिदेवी धरती  के प्राणियों पर एक 'ब्रह्मांडीय प्रभावकारी' है। हिन्दू रत्न  ज्योतिष में नवग्रह   इन प्रमुख प्रभावकारियों में से हैं।
राशि चक्र में स्थिर सितारों की पृष्ठभूमि के संबंध में सभी नवग्रह की सापेक्ष गतिविधि होती है। इसमें ग्रह भी शामिल हैं: मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, और शनि, सूर्य, चंद्रमा, और साथ ही साथ आकाश में अवस्थितियां, राहू (उत्तर या आरोही चंद्र आसंधि) और केतु (दक्षिण या अवरोही चंद्र आसंधि).
कुछ लोगों के अनुसार, ग्रह "प्रभावों के चिह्नक हैं" जो प्राणियों के व्यवहार पर लौकिक प्रभाव को दर्शाते हैं |  वे खुद प्रेरणा तत्व नहीं हैं[ लेकिन उनकी तुलना यातायात सिग्नल या वेव  से की जा सकती है।
ज्योतिष ग्रंथ प्रश्न मार्ग  के अनुसार, कई अन्य आध्यात्मिक सत्ता हैं जिन्हें ग्रह या आत्मा कहा जाता है। कहा जाता है कि सभी नवग्रह को छोड़कर भगवान शिव या रुद्र के क्रोध से उत्पन्न हुए हैं। अधिकांश ग्रह की प्रकृति आम तौर पर हानिकर है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो शुभ हैं। 'ग्रह पिंड' शीर्षक के तहत, पुस्तक द पुराणिक इनसाइक्लोपीडिया, ऐसे ग्रहों की (आध्यात्मिक सत्ता की आत्माएं) एक सूची प्रदान करती है, जो माना जाता है कि बच्चों को सताते हैं, आदि। इसी किताब में विभिन्न जगहों पर ग्रहों का नाम दिया गया है, जैसे 'स्खंड ग्रह' जो माना जाता है कि गर्भपात का कारण होता है।  इत्यादि होते हैं। . **********


ज्योतिषियों का दावा है कि पृथ्वी से जुड़े प्राणियों की प्रभा ऊर्जा पिंडों  और मन को ग्रह प्रभावित करते हैं। प्रत्येक ग्रह में एक विशिष्ट ऊर्जा गुणवत्ता होती है, जिसे उसके लिखित और ज्योतिषीय सन्दर्भों के माध्यम से एक रूपक शैली में वर्णित किया जाता है। ग्रहों की ऊर्जा किसी व्यक्ति के भाग्य के साथ एक विशिष्ट तरीके से उस वक्त जुड़ जाती है जब वे अपने जन्मस्थान पर अपनी पहली सांस लेते हैं। यह ऊर्जा जुड़ाव धरती के निवासियों के साथ तब तक रहता है जब तक उनका वर्तमान शरीर जीवित रहता है।  नौ ग्रह, सार्वभौमिक, आद्यप्ररुपीय ऊर्जा के संचारक हैं। प्रत्येक ग्रह के गुण स्थूल जगत और सूक्ष्म जगत वाले ब्रह्मांड की ध्रुवाभिसारिता के समग्र संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं, जैसे नीचे वैसे ही ऊपर. 
मनुष्य भी, ग्रह या उसके स्वामी देवता के साथ संयम के माध्यम से किसी विशिष्ट ग्रह की चुनिन्दा ऊर्जा के साथ खुद की अनुकूलता बिठाने में सक्षम हैं। विशिष्ट देवताओं की पूजा का प्रभाव उनकी सम्बंधित ऊर्जा के माध्यम से पूजा करने वाले व्यक्ति के लिए तदनुसार फलता है, विशेष रूप से सम्बंधित ग्रह द्वारा धारण किये गए भाव के अनुसार. "ब्रह्मांडीय ऊर्जा जो हम हमेशा प्राप्त करते हैं उसमें अलग-अलग खगोलीय पिंडों से आ रही ऊर्जा शामिल होती हैं।" "जब हम बार-बार किसी मंत्र का उच्चारण करते हैं तो हम किसी ख़ास फ्रीक्वेंसी के साथ तालमेल बैठाते हैं और यह फ्रीक्वेंसी ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संपर्क स्थापित करती है और उसे हमारे शरीर के भीतर और आसपास खींचती है।.. 
इस धारणा की चर्चा कि ग्रह, तारे और अन्य खगोलीय पिंड, ऊर्जा की ऐसी सजीव सत्ता हैं जो ब्रह्माण्ड के अन्य प्राणियों को प्रभावित करते हैं कई अन्य प्राचीन संस्कृतियों में भी मिलती है और इस मान्यता का उपयोग कई आधुनिक कथा साहित्य की पृष्ठभूमि में किया गया है *************


सूर्य ग्रह  परिचय - 

सूर्य देवता  मुखिया है, सौर देवता, आदित्यों में से एक, कश्यप और उनकी पत्नियों में से एक अदिति के पुत्र , इंद्र का, या द्यौस पितर का (संस्करण पर निर्भर करते हुए). उनके बाल और हाथ स्वर्ण के हैं। उनके रथ को सात घोड़े खींचते हैं, जो सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे "रवि" के रूप में "रवि-वार" या इतवार के स्वामी हैं।
हिंदू धार्मिक साहित्य में, सूर्य को विशेष रूप से भगवान का दृश्य रूप कहा गया है जिसे कोई प्राणी हर दिन देख सकता है। इसके अलावा, शैव और वैष्णव सूर्य को अक्सर क्रमशः, शिव और विष्णु के एक पहलू के रूप में मानते हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य को वैष्णव द्वारा सूर्य नारायण कहा जाता है। शैव धर्मशास्त्र में, सूर्य को शिव के आठ रूपों में से एक कहा जाता है, जिसका नाम अष्टमूर्ति है।
उन्हें सत्व गुण का माना जाता है और वे आत्मा, राजा, ऊंचे व्यक्तियों या पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य की अधिक प्रसिद्ध संततियों में हैं शनि (सैटर्न), यम (मृत्यु के देवता) और कर्ण (महाभारत वाले).
माना जाता है कि गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय मंत्र (आदित्यहृदयम) का जप भगवान सूर्य को प्रसन्न करता है।
सूर्य के साथ जुड़ा अन्न है गेहूं.... 


चंद्र ग्रह  परिचय -



मंगल ग्रह  परिचय -

उन्हें लाल रंग या लौ के रंग में रंगा जाता है, चतुर्भुज, एक त्रिशूल, मुगदर, कमल और एक भाला लिए हुए चित्रित किया जाता है। उनका वाहन एक भेड़ा है। वे 'मंगल-वार' के स्वामी हैं।...


बुध ग्रह  परिचय -

बुध, बुध ग्रह का देवता है और चन्द्र (चांद) और तारा (तारक) का पुत्र है। एकबार चंद्रदेव बृहस्पतिदेव के घर गए। वहाँ उन्होंने बृहस्पति के पत्नी तारा को देखा। तारा के सौंदर्य से मोहित चंद्र ने उन्हें विवाहप्रस्ताव दिया। गुरुपत्नी होने के नाते तारा उनकी मातृसम है यह कहकर तारा ने उन्हें ठुकरा दिया। इससे क्रुद्ध चंद्र ने उनका बलात्कार किया और उन्हें गर्ववती कर दिया। इस बलात्कार के फलस्वरूप तारा ने एक पुत्रका जन्म दिता और नाम दिया बुध। वे व्यापार के देवता भी हैं और व्यापारियों के रक्षक भी. वे रजो गुण वाले हैं और संवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं।.. 
उन्हें शांत, सुवक्ता और हरे रंग में प्रस्तुत किया जाता है। उनके हाथों में एक कृपाण, एक मुगदर और एक ढाल होती है और वे रामगर मंदिर में एक पंख वाले शेर की सवारी करते हैं। अन्य चित्रों में, उनके हाथों में एक राजदंड और कमल होता है और वे एक कालीन या एक गरुड़ अथवा शेरों वाले रथ की सवारी करते हैं।.. 
बुध बुधवार के मालिक हैं। आधुनिक हिन्दी, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और गुजराती में इसे बुधवार कहा जाता है; मलयालम और तमिल में इसे बुधन कहते हैं।



बृहस्पति ग्रह  परिचय -

बृहस्पति, देवताओं के गुरु हैं, शील और धर्म के अवतार हैं, प्रार्थनाओं और बलिदानों के मुख्य प्रस्तावक हैं, जिन्हें देवताओं के पुरोहित के रूप में प्रदर्शित किया जाता है और वे मनुष्यों के लिए मध्यस्त हैं। वे बृहस्पति ग्रह के स्वामी हैं। वे सत्व गुणी हैं और ज्ञान और शिक्षण का प्रतिनिधित्व करते हैं। अधिकांश लोग बृहस्पति को "गुरु" बुलाते हैं।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, वे देवताओं के गुरु हैं और दानवों के गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी हैं। उन्हें गुरु के रूप में भी जाना जाता है, ज्ञान और वाग्मिता के देवता, जिनके नाम कई कृतियां हैं, जैसे कि "नास्तिक" बार्हस्पत्य सूत्र... 
वे पीले या सुनहरे रंग के हैं और एक छड़ी, एक कमल और अपनी माला धारण करते हैं। वे गुरुवार, बृहस्पतिवार या थर्सडे के स्वामी हैं। 



शुक्र ग्रह  परिचय -

शुक्र, जो "साफ़, शुद्ध" या "चमक, स्पष्टता" के लिए संस्कृत रूप है, भृगु और उशान के बेटे का नाम है और वे दैत्यों के शिक्षक और असुरों के गुरु हैं जिन्हें शुक्र ग्रह के साथ पहचाना जाता है, (सम्माननीय शुक्राचार्य के साथ). वे 'शुक्र-वार' के स्वामी हैं। प्रकृति से वे राजसी हैं और धन, खुशी और प्रजनन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वे सफेद रंग, मध्यम आयु वर्ग और भले चेहरे के हैं। उनकी विभिन्न सवारियों का वर्णन मिलता है, ऊंट पर या एक घोड़े पर या एक मगरमच्छ पर. वे एक छड़ी, माला और एक कमल धारण करते हैं और कभी-कभी एक धनुष और तीर... 
ज्योतिष में, एक दशा होती है या ग्रह अवधि होती है जिसे शुक्र दशा के रूप में जाना जाता है जो किसी व्यक्ति की कुंडली में 20 वर्षों तक सक्रिय बनी रहती है। यह दशा, माना जाता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में अधिक धन, भाग्य और ऐशो-आराम देती है अगर उस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र मज़बूत स्थान पर विराजमान हो और साथ ही साथ शुक्र उसकी कुंडली में एक महत्वपूर्ण फलदायक ग्रह के रूप में हो।.. 


शनि ग्रह  परिचय - 

शनि गृह  हिन्दू ज्योतिष  अर्थात, वैदिक ज्योतिष  में नौ मुख्य खगोलीय ग्रहों में से एक है। शनि, शनि ग्रह है सन्निहित है। शनि, शनिवार का स्वामी है। इसकी प्रकृति तमस है और कठिन मार्गीय शिक्षण, कैरिअर और दीर्घायु को दर्शाता है।
शनि शब्द की व्युत्पत्ति निम्नलिखित से हुई है: शनये क्रमति सः अर्थात, वह जो धीरे-धीरे चलता है। शनि को सूर्य की परिक्रमा में 30 वर्ष लगते हैं, इस प्रकार यह अन्य ग्रहों की तुलना में धीमे चलता है, अतः संस्कृत का नाम शनि. शनि वास्तव में एक अर्ध-देवता हैं और सूर्य (हिंदू सूर्य देवता) और उनकी पत्नी छाया के एक पुत्र हैं। कहा जाता है कि जब उन्होंने एक शिशु के रूप में पहली बार अपनी आंखें खोली, तो सूरज ग्रहण में चला गया, जिससे ज्योतिष चार्ट (कुंडली) पर शनि के प्रभाव का साफ़ संकेत मिलता है।
उनका चित्रण काले रंग में, काले लिबास में, एक तलवार, तीर और दो खंजर लिए हुए होता है और वे अक्सर एक काले कौए पर सवार होते हैं। उन्हें कुछ अलग अवसरों पर बदसूरत, बूढ़े, लंगड़े और लंबे बाल, दांत और नाखून के साथ दिखाया जाता है। ये 'शनि-वार' के स्वामी हैं...। 



राहू ग्रह  परिचय - 

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन  के दौरान असुर राहू ने थोड़ा दिव्य अमृत पी लिया था। लेकिन इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, मोहिनी विष्णु का स्त्री अवतार ने उसका गला काट दिया। वह सिर, तथापि, अमर बना रहा और उसे राहु कहा जाता है, जबकि बाकी शरीर केतु बन गया। ऐसा माना जाता है कि यह अमर सिर कभी-कभी सूरज या चांद को निगल जाता है जिससे ग्रहण फलित होता है। फिर, सूर्य या चंद्रमा गले से होते हुए निकल जाता है और ग्रहण समाप्त हो जाता है.. ।



केतु ग्रह  परिचय - 

केतु ग्रह  अवरोही/दक्षिण चंद्र आसंधि का देवता है। केतु को आम तौर पर एक "छाया" ग्रह के रूप में जाना जाता है। उसे राक्षस सांप की पूंछ के रूप में माना जाता है। माना जाता है कि मानव जीवन पर इसका एक जबरदस्त प्रभाव पड़ता है और पूरी सृष्टि पर भी. कुछ विशेष परिस्थितियों में यह किसी को प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचने में मदद करता है। वह प्रकृति में तमस है और पारलौकिक प्रभावों का प्रतिनिधित्व करता है।
ज्योतिष के अनुसार, केतु और राहु, आकाशीय परिधि में चलने वाले चंद्रमा और सूर्य के मार्ग के प्रतिच्छेदन बिंदु को निरूपित करते हैं। इसलिए, राहु और केतु को क्रमशः उत्तर और दक्षिण चंद्र आसंधि कहा जाता है। यह तथ्य कि ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा इनमें से एक बिंदु पर होते हैं, चंद्रमा और सूर्य को निगलने वाली कहानी को उत्पन्न करता है।.. 




मित्रो  कहने का अर्थ ये हैं के उचित रत्न , उचित रत्न चिकित्सक से सलाह ले कर । .. उस रत्न के गुणवत्ता परीक्षण के पश्चात् ही। . उस रत्न को धारण करना चाहिए। उससे दुष्परिणाम का भय नहीं रहेगा .. तो आपको उसका उचित परिणाम एवं लाभ मिलेगा। .. इसमें कोई संदेह नहीं। .. हमारे कार्य शाला में। . ओरिजिनल रत्नो को परीक्षण करने के बाद उन रत्नो को तंत्र प्रणाली से सिद्ध कर के उसका शुद्धिकरण करने के  बाद ही लाभार्थी को दिया जाता हैं ... 




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