शिव तंत्र ज्ञान
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uvskJrtC-giTGURNMFCddENw6xlOckdPprqD56Ame5gimmQct79_86h69Q139-1wKxgqqtGGBt9ubyliKVIVO2sku52sVFzhGhLifBBIbAqYw-Xc5u8ArP8WMcSv6dbkPeHU3Tm3Y3hxQTIzNAxo-E-Eo4xXFqBg=s0-d)
॥ॐ॥ जो लोक-लज्जा, शास्त्र-लाज्जा,कुल-लज्जा आदि पाश में बंधा है, वह जिव है,और जो सब प्रकार की लज्जा को छोड़कर तंत्र-मार्ग पर चलकर उन्मुक्त साधना की तृप्ति करे वही शिव होता है ॥ॐ॥
॥ॐ॥ जो लोक-लज्जा, शास्त्र-लाज्जा,कुल-लज्जा आदि पाश में बंधा है, वह जिव है,और जो सब प्रकार की लज्जा को छोड़कर तंत्र-मार्ग पर चलकर उन्मुक्त साधना की तृप्ति करे वही शिव होता है ॥ॐ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें