कुश्ती जितने का मन्त्र 


जय महाकाल - 







मंत्र -


ॐ नमो गदाधारी हनुमन्त वीर, स्वामी बड़ा तेज बड़ा शरीर अड़ष्टिचक्र मातु कालका का जन्म चढे पैरी न कर थैर में करिहो तेरे जीव का भ्रात मैं करुं तेरे गुरु मोर से मारुं तुझे एक ही तो तीर से मेरा मारा ऐसा घूमे जैसे अंजनी सर्प की लहर पर तोही हिस्त मारूं बाण फरे चले तो गुरु गोरखनाथ के आन ||



विधि -


मित्रो यह मंत्र कुश्ती में विजय प्राप्त करता हैं , इस मंत्र की विशेषता ये हैं के ये मंत्र नाथ पंथ के काल से हैं , और नाथों के मंत्र अति प्रभावी होते हैं , ये आप सब जानते ही होंगे। .. जिस प्रकार हनुमानजी वज्र देहि थे , उसी प्रकार अच्छे से मेहनत कसरत कर के इस मंत्र का नित्य जाप करे तो कुश्ती के अखाड़े में जीतना संभव हो जाता हैं 
यह मंत्र नाथ कालीन होने के कारन अति प्रभावशाली हैं , इस मंत्र को अच्छे से  तरह कंठस्त कर ले बिना किसी त्रुटि के इस मंत्र का जाप करना हैं गलती न हो इसका पूरा ध्यान रहे अन्यथा मंत्र निष्काम हो जायेगा , इस मंत्र को सूर्य ग्रहण में जागृत करना होता हैं। .. मंत्र चैतन्य हो जाने के पश्चात् जब भी प्रयोग करना हो। .. तो अखाड़े की मिटटी हाथ में ले कर इस मंत्र ३ बार जाप कर के शरीर पर मल ले अच्छे से। . फिर थोड़ा गंगाजल पर मंत्र अभिमंत्रित कर के अपने ऊपर छिड़क कर। ... कुश्ती को आरम्भ करे आपकी जीत निश्चित होगी। ..














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