वीर नरसिंह साधना- vir narsingh sadhna shatru vinash


-जय महाकाल -


- वीर नरसिंह साधना - 




प्राचीन काल में हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार 

 नरसिंह देवता भगवान विष्णु जी के चौथे अवतार थे। जिनका मुँह सिंह का और धड़ मनुष्य का था जो हिंदू धर्म में इसी रूप में पूजे जाते हैं। लेकिन उत्तराखंड में नरसिंह देवता को भगवान विष्णु के चौथे अवतार को नही पूजा जाता, बल्कि एक नवनाथों के पंथ में  सिद्ध योगी नरसिंह देवता को पूजा जाता है। जो की नाथ प्रणाली के तंत्र में वर्णित किया गया हैं   उनका जागरण के रूप में पूजा की जाती हैं।
नरसिंह, नारसिंह या फिर नृसिंह देवता का स्थान उत्तराखंड के गढ़वाल में चमोली जिलें के जोशीमठ में मंदिर स्थित हैं। जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार को दर्शाता  हैं।
उत्तरा खंड के लोकदेवता नरसिंह को जगाने के लिए वहां के लोगों में पारंपारिक पूजा किया जाता हैं जिसे जागर कहा जाता हैं  घड़ियाल लगाई जाती है, उसमें उनके ५२  वीरों और ९  रूपों का वर्णन किया जाता है। जिसमें नरसिंह देवता का एक जोगी के रूप में वर्णन किया जाता है। जो की एक झोली, चिमटा, भस्म, कंकण , और तिमर का सोटा जिसे डण्डा  भी कहा जाता हैं , डंडा साथ में लिए रहते है। नरसिंह देवता के इन्ही प्रतीकों को देखकर उनको देवरूप मान कर उनकी पूजा की जाती हैं।
उत्तराखंड के गढ़वाल कुमाऊँ में नाथपंथी देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें यह नौ नरसिंह भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इनकी उत्पत्ति की थी और इनकी उत्पति कोई त्रिफल अथवा  केसर का पेड़ इनमे से एक वृक्ष से इनकी  ९ नाथ नरसिंह की उत्पत्ति हुई थी। भगवान शिव ने केसर के बीज बोए उनकी दूध से सिंचाई की केसर की डाली लगी उसपर ९  फल उगे और वह ९  फल अलग अलग स्थान प्रांतों में  गिरे तब जाकर यह ९ भाई नरसिंह का जन्म हुआ । पहला फल गिरा केदार घाटी में केदारी नरसिंह पैदा हुए, दूसरा बद्री खंड में तो बद्री नरसिंह पैदा हुए, तीसरा फल गिरा दूध के कुंड में तो दूधिया नरसिंह पैदा हुए, ऐसे ही जहां जहाँ वह फल गिरे वहां वहां नरसिंघ अवतार प्रगट  होते गए डौंडियो के कुल में जो फल गिरा तो डौंडिया नरसिंह प्रगट हो गए। 

यह ९ नाथ पंथी नरसिंह सिद्ध हुए जो गुरु गोरखनाथजी के अधिपत्य में  शिष्य बने जो कि बहुत ही तीक्ष्ण वीर हुए वह  सन्यासी बाबा थे जिनकी लंबी लंबी जटाएं उनके पास खरवा/खैरवा की झोली, ठेमरु का सौंठा (डंडा), नेपाली चिमटा इत्यादि चीजे होती थी। ९  नरसिंह में सबसे बड़े दूधिया नरसिंह कहे जाते है जो सबसे शांत और दयालु स्वभाव के है इनको दूध चढ़ाया जाता है और पूजा में रोट काटा जाता है और सबसे छोटे डौंडिया नरसिंह है जो कि बहुत क्रोध स्वभाव के है इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है और इनको पूजा में बकरे की बलि दी जाती हैं।
इनके अलग अलग जगहों के हिसाब से अलग अलग नाम के स्वरुप भी है परन्तु यह ९ ही है। इनके रूपों के नाम इस प्रकार हैं 

१ )  इंगला बीर नरसिंह -  २ ) पिंगला वीर -   ३)-जतीबीर   -  ४)- थती बीर  -  ५  ) घोर- अघोर बीर  

 ६)- चंड बीर -   ७ )  प्रचंड बीर  - ८ ) दूधिया नरसिंह  ९ ) -डौंडिया नरसिंह




यहाँ के मान्यता अनुसार उनका जागरण होता होता हैं किसी व्यक्ति पर उनकी सवारी भी लायी जाती हैं जागर में  उनकी वीर गाथाओं को गाया जाता है उनकी नगरी जोशीमठ का बखान होता है , पूजा में जागर का मतलब है कि उनकी वीर गाथा गाकर उनका आव्हान करना और उनकी पूजा करना। कहा जाता है की यह ९ भाई नरसिंह तो साथ चलते ही है इनके साथ साथ भैरव भी चलते हैं मसाण, और अन्य नरसिंह देवता के साथ नौ नाग, बारह भैंरो अट्ठारह कलवे,६४जोगिनी,  ५२ बीर, छप्पन कोट कालका की शक्ति चलती है और साथ ही इनको चौरासी सिद्धों का वरदान प्राप्त है।  देवी देवता भी चला करते हैं ।

जब गुरु गोरखनाथ जी केदारखंड आए थे तब ये नौ नरसिंह भाई इनके शिष्य बने तथा बहुत ही शक्तिशाली विद्याएं इन्होने प्राप्त की, जैसे काली विद्या बोक्षानी विद्या, कश्मीरी विद्या और भी बहुत विद्याएं जो आज भी वहां के इलाके में जीवित है, इस विद्या के जानने वाले बहुत कम ही शेष  रह गए है।  नरसिंह देवता बहुत ही घातक एवं उग्र प्रकार के देवता है और कोई दुष्ट शक्ति इनके आगे नहीं टिक पाती। अगर किसी के कुलदेवता नरसिंह देवता हैं और वह  छह पीढ़ी तक नहीं पूज रहें तो सातवीं पीढ़ी के बाद उनका  का सर्वनाश कर देते है। प्राचीन कथा के अनुसार इनका जन्म ब्रह्मा जी के दिव्य नौ श्रीफल से हुआ था। सबसे बड़े दूधिया नरसिंह है और सबसे छोटे डौंडिया नरसिंह हैं। दूधिया नरसिंह दूध, रोट अथवा श्रीफल से शांत होते है। और डौंडिया नरसिंह में बकरे की बलि देने की वहां की प्रथा है। इनको पिता भस्मासुर और माता महाकाली के पुत्र भी बताए जाते है जागर में, जागर में इनको बुलाया जाता है।

- नरसिंह वीर मंत्र -

ॐ नमो आदेश गुरु कूँ | ॐ नमो जय जय नरसिंह तीन लोक १४ भुवन में हाथ चाबी
और ओठ चाबी | नयन लाल लाल | सर्व बैरी पछाड़ मार |
भक्तन का प्राण राख | आदेश आदेश पुरुष को







-विधि -

मित्रों नरसिंह वीर यह भी एक वीरों में से खतरनाक वीर हैं , जिनकी साधना आसानी से नहीं की जा सकती अगर तुम्हारा कोई गुरु न हो तो , घातक हो सकती हैं यह  साधना। .. अगर ये मन्त्र सिद्ध हो जाता हैं तो इससे भयानक भूत , डायन चुड़ैल , पिशाच ,साकिनी इत्यादि को मार भगा सकते हैं। . मगर उतनी क्षमता आपके अंदर होना जरुरी हैं। .वैसे आम साधक इसे करने जाए तो उनको  भयावह अनुभूति होती हैं इसमें कोई दो राय नहीं । . अच्छे अच्छों के पेशाब निकल जाता  हैं। . .. एकांत मसान में बैठ इसकी साधना एक आसन में बैठ कर ग्रहण के दिन २०१६ की संख्या में जाप करने पर सिद्धि मिलती हैं। . गुरु के निर्देशन में रहकर साधना करे। . ये अनुभूत की हुई साधना हैं। . अपने सूझ बुझ से काम ले। .


संपर्क  -    09207 283 275 




3 टिप्‍पणियां: