जय महाकाल -
कामेश्वरी यक्षणी मंत्र - सिद्धि -
मंत्र -
ॐ कामेश्वरी काम सिद्धेश्वरी स्वाहा :ॐ फट स्वाहा : ॐ ह्रीं कुरु कूरु स्वाहा
- जय महाकाल -
क्या होती हैं यक्षणीया .इनको यानी .यक्षिणीयों को शिव जी की दासिया भी कहा जाता है.. यक्ष का शाब्दिक वाचक अर्थ होता है जादू की अलौकिक शक्ति..। आदिकाल में प्रमुख रूप से ये रहस्यमयी शक्तियां थीं.. और आज भी हैं ।..देवी देव दानव दैत्य राक्षस.,गण यक्ष गंधर्व.अप्सराएंभुत पिशाच,..किन्नर.., , रीझ..,भल्ल.., किरात..., अष्टकुली वासुकि नाग आदि..। ये सभी शक्तियां मनुष्य जाती से से कुछ अलग थे..। इन सभी के पास अलौकिक शक्तियां हुआ करती थी और ये सभी .. मानवों की किसी न किसी रूप में सहायता जरूर करते थे। देवताओं के बाद देवीय शक्तियों के मामले में यक्ष की ही गिनती होती हैं ...कहते हैं कि यक्षिणियां सकारात्मक शक्तियां हैं... तो पिशाचिनियां ..नकारात्मक शक्ति हैं । बहुत से लोग यक्षिणियों को भी किसी भूत-प्रेतनी की तरह मानते हैं..., लेकिन यह सच नहीं है...। रावण का सौतेला भाई कुबेर एक यक्ष था..., जबकि रावण एक राक्षस रूपी पंडित था। . .। महर्षि पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा की दो पत्नियां थीं इलविला और कैकसी..। इलविला से कुबेर और कैकसी से रावण.., विभीषण.., कुंभकर्ण का जन्म हुआ था ..। इलविला यक्ष जाति से थीं तो कैकसी राक्षस जाती की थी। . ठीक इसी प्रकार। .
जिस तरह प्रमुख 33 देवता होते हैं..., उसी तरह 64 यक्ष और यक्षिणियां भी होती हैं। इनमे से निम्न ८ यक्षिणियां
प्रमुख मानी जाती है..
( यक्षणियों के नाम - )
*सुर सुन्दरी यक्षिणी..
*मनोहारिणी यक्षिणी..
*कनकावती यक्षिणी..
*कामेश्वरी यक्षिणी..
*रतिप्रिया यक्षिणी..
*पद्मिनी यक्षिणी..
*नटी यक्षिणी..
*अनुरागिणी यक्षिणी..
जिस तरह प्रमुख 33 देवता होते हैं..., उसी तरह 64 यक्ष और यक्षिणियां भी होती हैं। इनमे से निम्न ८ यक्षिणियां
प्रमुख मानी जाती है..
( यक्षणियों के नाम - )
*सुर सुन्दरी यक्षिणी..
*मनोहारिणी यक्षिणी..
*कनकावती यक्षिणी..
*कामेश्वरी यक्षिणी..
*रतिप्रिया यक्षिणी..
*पद्मिनी यक्षिणी..
*नटी यक्षिणी..
*अनुरागिणी यक्षिणी..
और कामेश्वरी यक्षणी
विधि -
संपर्क - 09207 283 275
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