विष्णु  की  उपासना -



जय महाकाल - 





विष्णु  की  उपासना -









मित्रो  विष्णु भगवान्   का निवास  क्षीर सागर में  हैं । विष्णु पुराण के अनुसार यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है.... - जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप और पुष्करद्वीप। ये सातों द्वीप चारों ओर से सात समुद्रों से संघटित  घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बंधे हुए हैं, और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं.... । दुग्ध का सागर या क्षीर सागर शाकद्वीप को घेरे हुए है। इस सागर को पुष्करद्वीप भी  घेरे हुए है.... ।

भगवान विष्णु के प्रमुख  नाम इसप्रकार हैं-भगवान श्रीविष्णु ही नारायण कहे जाते हैं... । तःथा  वे ही श्रीहरि, गरुड़ध्वज, पीताम्बर, विष्वक्सेन, जनार्दन, उपेन्द्र, इन्द्रावरज, चक्रपाणि, चतुर्भुज, लक्ष्मीकांत, पद्मनाभ, मधुरिपु, त्रिविक्रम,शौरि, श्रीपति, पुरुषोत्तम, विश्वम्भर, कैटभजित, विधु, केशव, शालीग्राम आदि नामों से भी जाने  जाते  है।...
विष्णु  के अवतार अनुसार - शास्त्रों में विष्णु के चौबीस  अवतार बताए  गए हैं... , लेकिन उनमेसे  प्रमुख दस अवतार ही  माने जाते हैं- मतस्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बु‍द्ध और कल्कि।।।।। इस प्रकार है ।
चौबीस अवतारों का क्रम निम्न प्रकार  है-१) आदि परषु, २) .चार सनतकुमार, ३) .वराह, ४) .नारद, ५) .नर-नारायण, ६) .कपिल, ७) दत्तात्रेय, ८) .याज्ञ, ९) .ऋषभ, १०) .पृथु, ११) .मतस्य, १२) .कच्छप, १३.धनवंतरी), १४) .मोहिनी, १५) .नृसिंह, १६) .हयग्रीव, १७ ) .वामन, १८) .परशुराम, १९) .व्यास, २०) .राम, २१) .बलराम, २२) .कृष्ण, २३) .बुद्ध और २४) .कल्कि।
विष्णु के चौबीस  अवातारों को जानकारी ....
वैष्णव संप्रदाय के उप संप्रदाय - वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय है- जैसे बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी, गौड़ीय आदि। वैष्णव का मूलरूप आदित्य (वेदों के जन्मदाता चार ईशदूतों में से एक) की आराधना में मिलता है। भगवान विष्णु का वर्णन भी वेदों में मिलता है। पुराणों में विष्णु पुराण प्रमुख से प्रसिद्ध है। विष्णु का निवास समुद्र के भीतर माना गया है.... ।




विष्णु के मंत्र - 


पहला मंत्र- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण हरि हरि।

दूसरा मंत्र- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

तीसरा मंत्र - ॐ नमो विष्णवे नम : 




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