सिद्ध शूलिनी दुर्गा-स्तुत
सिद्ध शूलिनी दुर्गा-स्तुति
दुःख दुशासन पत चीर हाथ ले, मो सँग करत अँधेर ।
कपटी कुटिल मैं दास तिहारो, तुझे सुनाऊँ टेर ।। मैय्या॰ ।।१
बुद्धि चकित थकित भए गाता, तुम ही भवानी मम दुःख-त्राता ।
चरण शरण तव छाँड़ि कित जाऊँ, सब जीवन दुःख निवेड़ ।।मैय्या॰ ।।२
भक्ति-हीन शक्ति के नैना, तुझ बिन तड़पत हैं दिन-रैना ।
लाज तिहारे हाथ सौंप दइ, दे दर्शन चढ़ शेर ।।मैय्या॰ ।।३
विधिः- उपर्युक्त रचना “शूलिनी-दुर्गा” की स्तुति है । विशेष सङ्कट-काल में भक्ति-पूर्वक सतत गायन करते रहने से तीन रात्रि में ‘संकट’ नष्ट होते है ।
भगवती षोडशी (श्री श्रीविद्या) का ध्यान कर, इस स्तुति की तीन आवृत्ति करते हुए स्तवन करने पर सद्यः ‘अर्थ-प्राप्ति’ ३ घण्टे में होती है ।
एक वर्ष तक नियमित रुप से इस स्तुति का गायन करने पर, माँ स्वयं स्वप्न में ‘मन्त्र-दीक्षा’ प्रदान करती है ।
‘नव-रात्र’ में नित्य मध्य-रात्रि में श्रद्धा-पूर्वक इस स्तुति की १६ आवृत्ति गायन करने से ५ रात्रि के अन्दर स्वप्न में ‘माँ’ का साक्षात्कार होता है ।
प्रातः एवं सायं-काल नित्य नियमित रुप से भक्ति-पूर्वक ‘भैरवी-रागिनी’ में इस स्तुति का गायन करने से ‘आत्म-साक्षात्कार’ होता है ।..
सिद्ध शूलिनी दुर्गा-स्तुति
दुःख दुशासन पत चीर हाथ ले, मो सँग करत अँधेर ।
कपटी कुटिल मैं दास तिहारो, तुझे सुनाऊँ टेर ।। मैय्या॰ ।।१
बुद्धि चकित थकित भए गाता, तुम ही भवानी मम दुःख-त्राता ।
चरण शरण तव छाँड़ि कित जाऊँ, सब जीवन दुःख निवेड़ ।।मैय्या॰ ।।२
भक्ति-हीन शक्ति के नैना, तुझ बिन तड़पत हैं दिन-रैना ।
लाज तिहारे हाथ सौंप दइ, दे दर्शन चढ़ शेर ।।मैय्या॰ ।।३
विधिः- उपर्युक्त रचना “शूलिनी-दुर्गा” की स्तुति है । विशेष सङ्कट-काल में भक्ति-पूर्वक सतत गायन करते रहने से तीन रात्रि में ‘संकट’ नष्ट होते है ।
भगवती षोडशी (श्री श्रीविद्या) का ध्यान कर, इस स्तुति की तीन आवृत्ति करते हुए स्तवन करने पर सद्यः ‘अर्थ-प्राप्ति’ ३ घण्टे में होती है ।
एक वर्ष तक नियमित रुप से इस स्तुति का गायन करने पर, माँ स्वयं स्वप्न में ‘मन्त्र-दीक्षा’ प्रदान करती है ।
‘नव-रात्र’ में नित्य मध्य-रात्रि में श्रद्धा-पूर्वक इस स्तुति की १६ आवृत्ति गायन करने से ५ रात्रि के अन्दर स्वप्न में ‘माँ’ का साक्षात्कार होता है ।
प्रातः एवं सायं-काल नित्य नियमित रुप से भक्ति-पूर्वक ‘भैरवी-रागिनी’ में इस स्तुति का गायन करने से ‘आत्म-साक्षात्कार’ होता है ।..
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