जय महाकाल -
चण्डालिनी मंत्र साधना -
मंत्र -
ॐ नमो उच्छिस्ट चाण्डालिनी वाग्वादिनी , राजमोहिनी प्रजा मोहिनी , स्री मोहिनी, आन आत येवे
वायु उच्छिस्ट चाण्डालिनी सत्यवादिनी की शक्ति कुरु स्वाहा
जय महाकाल - मित्रो यह साधना दश महाविद्या की देवी मातंगिनी से सम्बंधित ताल्लुक रखती हैं , यह एक उच्छिस्ट चाण्डालिनी साधना हैं , कुछ हद तक उग्र प्रकार की हैं। .. कुछ नियम भी अलग प्रकार के हैं मंत्र के ,
इस साधना के माध्यम से भूत, प्रेत , को भी वशीभूत किया जा सकता हैं ,उनको नियंत्रण भी किया जाता हैं। ....
इस साधना के सिद्धि से। .. आप अपने सर्व मनोरथ पुरे कर सकते हो। ..बशर्ते कठिन तपस्या और मेहनत की आवशकता होगी। .. इस साधना को स्त्री - पुरुष दोनों कर सकते हैं। .. इस मंत्र को दोपहर, या शामके , अथवा रात्रिकाल में भोजन के पश्चात् जूठे मुँह से ही जाप करना होता हैं , खाना खाने के पश्चात् बिना कुल्ला किये इस मंत्र का जाप २१०० बार करना हैं। .. नित्य २१ दिन इस मन्त्र को जपना हैं , स्नान आदि वर्जित हैं , जितना मलीन रहोगे उतना ही इस मंत्र की शक्ति जागृत होती रहेगी। .. ... ध्यान रहे साधना बिच में खंडित न हो। .. अन्यथा संकट में पड सकते हो। .. अपने सूझ भुझ से ही साधना को गुरु के मार्गदर्शन उनकी अनुमति ले कर शुरुवात करे। ...
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