शमशान जागृत करने की साधना -

जय महाकाल - 


शमशान जागृत करने की साधना -



shamsan sidhhi
shamshan sidhhi


जय  महाकाल। .. मित्रो। . आपने कई जगह सुना होगा की फलाने तांत्रिक ने मशान जगा  रखा हैं , या कोई आदमी शमशान जगाता हैं वगैरा वगैरा- प्रायः  सुनने में आता हैं मगर असल में श्मशान कैसे जागृत होता हैं , यह बहोत काम ही लोग जानते हैं , जो जानते हैं वो किस को बताते नहीं , दरसल यह शमशानी क्रिया अघोर तंत्र के तहत आती हैं। . जो की बहोत ही जोखिम भरी होती हैं   हम आपको इसकी विधि और जानकारी दे रहे हैं।  यह जानकारी देने का उद्देश्य आपके ज्ञान वर्धन के लिए दिया जा रहा हैं।  ना की किसी का अहित या किसी को क्षति पहुचाने के हेतु से दिया जा रहा हैं .... , सर्व प्रथम आप अच्छी तरह से समझ ले मसान क्या हैं। .. और उसके नियम क्या हैं।
शमशान जगाने के दस  प्रकार के होते हैं -  जो निम्न  प्रकार हैं। ... सफेदा ,यमदंड ,सुकिया ,फुलिया ,हल्दिया कमेदिया , की किचिया  ,मिचमिचिया ,सिलासिलिया ,पिलिया ,,,|ये नाम उन १० शक्तिशाली प्रेत शक्तियों के हैं जो की शमशान साधना के अधिपति होते हैं। .. उक्त  समय आपके उग्र मन्त्रों को अपनी शक्ति से जाग्रत करते हैं |इन्ही प्रेत शक्तियों के बल के माध्यम से  श्मशान की ख़ामोशी  में अभिचार कर्म ,भूत-प्रेत ,पिशाच ,बेताल ,भैरव ,आदि के मंत्र सिद्ध किये जाते हैं |इसे ही  मरघटिया मशान  भी कहा जाता है ,... ... जो मशान जगाता हे उसे मशान जोगी कहते हैं। ..... अघोरी भी कहा जाता  हैं इत्यादि। ...
शमाशान के सेनापति महिषासुर और  धूम्रलोचन को माना जाता है...और मुख्य  गण शमसान भैरव और रक्त चामुण्डा होती हे वैसे और मशान वीरों की भी सिद्धि की जाती हैं  जिनका स्वरुप घनश्याम ,भयानक ,दीर्घ देह ,बड़े बड़े केश और सघन बड़ी लोम्राशी ,,हाथ में वज्र और पाश ,नग्न पाद ,चमड़े की लंगोट धारण किये हुए है |प्रेत पिंड ,चिता अग्नि से पकता शव का मांस -मज्जा इनका भोजन  करने वाले होते  है |
शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की अष्टमी ,चतुर्दशी ,पूर्णिमा ,अमावस्या ,शनिवार ,मंगलवार ,तिथि-वार के संयोग में श्मशान साधना अधिक की जाती है ,यद्यपि अघोरी-कापालिक-सिद्ध के लिए ऐसी कोई मुहूर्त महत्व नहीं रखता |यह मुहूर्त सामान्य साधकों के लिए शीघ्र सफलतादायक माने जाते हैं |श्माशान में भोग में आमिष अथवा निरामिष दोनों का ही प्रयोग होता है जिनके विभिन्न अवयव अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग किये जाते हैं |विशेष साधनाओं में विशेष भोग जो निश्चित होता है लगाया जाता है जिससे सफलता बढती है |श्मशान में प्रवेश करते समय गुरु ,गणेश ,बटुक ,योगिनी ,मात्रिगणों से अनुमति ली जाती है |सभी श्मशान में व्याप्त शक्तियों को नमस्कार कर साधना प्रारम्भ किया जाता है |साधक आसन पर बैठकर क्रमशः श्मशान अधिपति को पूर्व में ,भैरव को दक्षिण में ,कालभैरव को पश्चिम में ,तथा महाकाल को उत्तर में पाद्यादी देकर उनका पूजन कर भोग- बलि आदि देता है |यदि चिता का प्रयोग कर रहा हो तो कालरात्री ,काली तथा महाकाली के घोर मंत्र पढता हुआ भोग समर्पित करता है |तत्पश्चात भूतनाथ को बलि प्रदान कर वीरार्दन मंत्र से चतुर्दिक रक्षा चक्र का निर्माण करता है |इसी मंत्र के बाद ही साधक स्वयं भैरव स्वरुप हो जाता है और विघ्न आदि उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते |
इसके बाद साधक अपने गुरु द्वारा निर्दिष्ट मंत्र का जाप करता है तथा अपने प्रयोजन को सिद्ध करता है |अघोर साधना ,काल भैरव साधना ,श्मशान जागरण साधना ,आसन कीलने की साधना ,उग्र काली साधना ,५२ भैरव  और ५२ वीर  और ५६ कलुवा वीरों की  साधना ,महाउग्र तारा साधना ,श्मशान काली साधना ,मरघट चंडी साधना ,तांत्रिक षट्कर्म आदि श्माशान में की जाने वाली प्रमुख साधनाएं है |इनके अतिरिक्त वीर साधन एक अति महत्वपूर्ण साधना है |यह तो नितांत सत्य है की जो साधनाएं सौम्य रूप में बहुत लम्बा समय सिद्ध होने में लगाती हैं वही शमाशान में तीव्र गति से और शीघ्र सिद्ध हो जाती है |इसका कारण यह होता है की श्मशान में अधिकतर उग्र शक्तियों की साधना की जाती है जिनकी ऊर्जा की वहां अधिकता होती है ,साथ ही साधक के  गुण भाव भी साहसी उत्तेजित  और उग्र होते हैं जिससे आसानी से सम्बंधित ऊर्जा साधक से जुड़ जाती है | और तामसिक वस्तुओं द्वारा प्रयोग में लाकर  औघड़ की ताकत  बढ़ा कर अपार शक्ति की  सफलता देती है |


https://mantraparalaukik.blogspot.in/

शमसान जगाने की संक्षिप्त विधि प्रस्तुत हैं -

विशेष चेतावनी -  ( ये साधना अति उग्र स्वरुप की हैं  जान जाने अथवा पागल होने की सम्भावना हैं कृपया मंजे हुए गुरु  मार्गदर्शन में रह कर करे अन्यथा खुद के हानि के जिम्मेदार खुद ही होंगे ) .... कहना नहीं मानोगे तो भाड़ में जाओगे। .. 

  अगर किसी नौजवान की आकस्मिक मृत्यु हो जाये  या दुर्घटना  से मरे हुए व्यक्ति जिसका post  martam  नहीं किया हो और सांप के कांटे से ना मरा  हो   ऐसे शव को उपयोग में लाना हैं ।। ऐसे शवो को या तो उसे जलाया जाता हैं या दफनाया जाता हैं , मगर  आपका काम जहाँ उसे दफनाया हो वहां पर हैं...  बशर्ते उस शव को २७ दिन से पहले उपयोग में लाना हैं ... सर्व प्रथम जिस जगह बकरा काँटा जाता हैं .. वहां से आपको एक वस्तु लानी हैं जिस दिन शमशान को जगाना हैं उसी  दिन उस वस्तु को लाना हैं इस क्रिया मे उस वस्तु को साथ में रख के अमावस या मंगल शनि को शमशान में जाना हैं उसके एक दिन पहले शमशान को आमंत्रित कर के आना हैं , फिर अगले दिन सब सामग्री ले कर शमशान जाये .. मगर एक बात ध्यान रहे की ये सब विधि गुरु के मार्गदर्शन में करे , या फिर जिसके पिछवाड़े में दम हो वो इस विधि को करे , हम यहाँ दुबारा सूचित कर रहे हैं की यह जानकारी आपके ज्ञान वर्धन के लिए दी जा रही हैं 
अगर इस विधि से किसी को हानि या नुक्सान होता हैं तो उसके जिम्मेदार हम नहीं , या ये माध्यम नहीं हे . आप स्वयं होंगे ..क्यों की यह विधि उग्र और अघोरी  क्रिया हैं । इसमें  जान का खतरा हैं अपने सूझ बुझ से काम ले , इस मशान सिद्धि के बाद कुछ शेष नहीं रहता।  आप मन चाहा कार्य मिनटों में कर सकते हो , पलक झपकते ही मन चाहा कार्य कर सकते हो...उर्वरित मार्गदर्शन के लिए।
( शमशान जगाने का मंत्र और क्रिया विधि जिज्ञासा रखने वाले साधको को दिया जायेगा  )  मेल के जरिये संपर्क करे 


shamshan jagane ki kriya





                                                                        जय महाकाल


 संपर्क  - 09207 283 275






5 टिप्‍पणियां:

  1. मैं गोविंद नाथ देवड़ा सन ऑफ श्री श्याम नाथ देवड़ा प्लॉट नंबर 193 रामेश्वर नगर सेक्टर बासनी फर्स्ट जोधपुर राजस्थान का मूल निवासी हूं और अनुराधा नक्षत्र में आंकड़े के पौधे में 21 बबूल के कांटे चुभो वीर जगाना
    चाहता हूं क्या ऐसी विधि आपके पास है क्योंकि मैंने अगिया बेताल साधना 2121 दिनों की दो बार की मगर मुझे कुछ एहसास तो हुआ कि कोई मेरे पास है अगर ना तो दर्शन हुए ना ही कुछ सुनाई दिया क्या मेरा तीसरी बार आज्ञा बेताल साधना करना उचित है या नहीं है इस बात का भी जवाब देने का कष्ट करें मैं कंफ्यूजन में हूं उचित मार्गदर्शन दें मुझे एक योग्य ग्रुप की तलाश है जो मेरी योग्यता को और भी निखार सके

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  2. मुझे मारण क्रिया जो औघड़ कर्म से
    मरघट काली व सिद्ध की हुई मशानी व मशान को उतारा करने के बारें
    में जानकारी दें

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