धन प्रदायक पारद एवं पञ्च धातु श्री यन्त्र

जय महाकाल -

धन प्रदायक पारद एवं पञ्च धातु श्री यन्त्र



श्री यंत्र - की महिमा एवं इसका गुण  प्रभाव -








मित्रो इस कलयुग में अर्थ के बिना कुछ नहीं हैं , हर व्यक्ति अपने जीवन को सार्थक बना ने की लिए अर्थ यानी( धन, धान्य ,रिद्धि ,सिद्धि ,सुख और शांति  की प्राप्ति की उपासना  करता हैं। फिर चाहे वो व्यापार के माध्यम से हो, नौकरी के माध्यम से हो , या दुकानदारी के  माध्यम से हो , या ज्योतिष के माध्यम से हो , बस जैसे तैसे लक्ष्मी को प्राप्त  करना हैं , इसी उद्देश्य को लक्ष्य में रखते हुए आपके लिए यह विशेष पोस्ट कर रहा हूँ।  

श्रीयंत्र इस नाम से ही प्रतीत होता है कि यह श्री अर्थात् लक्ष्मीजी का यंत्र है जो लक्ष्मी जी को सर्वाधिक प्रिय है। लक्ष्मी जी स्वयं कहती हैं कि श्रीयंत्र तो मेरा आधार है, इसमें मेरी आत्मा वास करती है। श्रीयंत्र सभी यंत्रों में श्रेष्ठ माना गया है इसलिए इसे यंत्रराज कहा गया है। इसके प्रभाव से दरिद्रता पास भी नहीं आती है। यह यंत्र महालक्ष्मी जी को इतना अधिक प्रिय है इसकी महिमा हम इस यंत्र की उत्पत्ति जानने के पश्चात् ही पूर्णतः समझ पायेंगे। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी अप्रसन्न होकर बैकुण्ठ धाम चली गईं। इससे पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की समस्याएं प्रकट हो गईं। समस्त मानव समाज, ब्राह्मण, वैश्य, व्यापारी, सेवाकर्मी आदि सभी लक्ष्मी के अभाव में दीन हीन, दुखी होकर इधर-उधर मारे-मारे घूमने लगे। तब वशिष्ठ जी ने यह निश्चय किया कि मैं लक्ष्मी को प्रसन्न कर इस पृथ्वी पर वापस लाऊँगा। वशिष्ठ जी तत्काल बैकुण्ठ धाम जाकर लक्ष्मी जी से मिले, उन्हें ज्ञात हुआ कि ममतामयी मां लक्ष्मी जी अप्रसन्न हंै और वह किसी भी स्थिति में भूतल पर (पृथ्वी) आने को तैयार नहीं हैं। तब वशिष्ठ जी वहीं बैठकर आदि अनादि और अनंत भगवान विष्णु जी की आराधना करने लगे। जब श्री विष्णु जी प्रसन्न होकर प्रगट हुए तब वशिष्ठ जी ने कहा हे प्रभो, श्री लक्ष्मी के अभाव में हम सब पृथ्वीवासी पीड़ित हैं, आश्रम उजड़ गये, वणिक वर्ग दुखी है सारा व्यवसाय तहस नहस हो गया है, सबके मुख मुरझा गये हैं। आशा निराशा में बदल गई है तथा जीवन के प्रति उत्साह उमंग समाप्त हो गई है। तब श्री विष्णु जी वशिष्ठ जी को लेकर लक्ष्मी जी के पास गये और मनाने लगे। परन्तु किसी प्रकार लक्ष्मी जी को मनाने में सफल नहीं हो सके और रूठी हुई अप्रसन्न श्री लक्ष्मी जी ने दृढ़तापूर्वक कहा कि मैं किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर जाने को तैयार नहीं हँू। उदास मन एवं खिन्न अवस्था में वशिष्ठ जी पुनः पृथ्वी लोक लौट आये और लक्ष्मी जी के निर्णय से सबको अवगत करा दिया। सभी अत्यन्त दुखी थे। देवगुरु बृहस्पति जी ने कहा कि अब तो मात्र एक ही उपाय है वह है ‘‘श्रीयंत्र’’ की साधना। यदि श्रीयंत्र को स्थापित कर, प्राण प्रतिष्ठा करके पूजा की जाये तो लक्ष्मी जी को अवश्य ही आना पड़ेगा। गुरु बृहस्पति की बात से ऋषि व महर्षियों में आनन्द व्याप्त हो गया और उन्होंने बृहस्पति जी के निर्देशन में श्रीयंत्र का निर्माण किया और उसे मंत्र सिद्धि एवं प्राण प्रतिष्ठा कर सर्व पृथ्वी एवं देवगणो के लिए उपलब्ध करा दिया गया श्री यन्त्र का महापूजन  पूजन किया गया । पूजा समाप्त होते होते ही लक्ष्मी जी वहां उपस्थित हो गईंऔर  कहा कि मैं किसी भी स्थिति में यहां आने हेतु तैयार नहीं थी परन्तु आपने जो प्रयोग किया उससे मुझे आना ही पड़ा। श्रीयंत्र ही तो मेरा आधार है और इसमें मेरी आत्मा वास करती है। श्रीयंत्र सब यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसलिये इसे यंत्रराज भी  कहा गया है। श्री यंत्र की रचना भी अनोखी है। भी सद्बुद्धि आ जाती है तथा वह भी कामकाज करने लगता है।  इससे धन की प्राप्ति होती है। इसके गृह में स्थापन  कर ने  किसी प्रकार का भय नहीं होता व निरंतर आय में (नौकरी/व्यवसाय) उन्नति करता हैं  और उसका भाग्योदय हो जाता है एवं लक्ष्मी जी हमेशा उस पर अपना आशीर्वाद बनाये रखती हैं। । हिन्दू धर्म के सभी ज्ञानी संत, महापुरुष, धर्माचार्य, महामण्डलेश्वर, योगी, तांत्रिक, संन्यासी सभी के पूजा स्थल में इस यंत्र का प्रमुख स्थान है। इस यंत्र को यंत्रराज अथवा यंत्र शिरोमणि भी कहा गया है क्योंकि बाँकी सभी यंत्रों में मंत्रों के साथ धातुओं की शक्ति समाई हुई है  जिससे इसकी शक्तियां हजारों गुना बढ़ जाती हैं। इसे पूजा स्थान, कार्यालय, दुकान, फैक्ट्री एवं पढ़ाई के स्थान पर रखने एवं पूजा पाठ करने से धन, धान्य एवं व्यापार में लाभ तथा पढ़ाई में सफलता तथा वाहन में रखने पर दुर्घटना से बचाव होता है। पारे का श्रीयंत्र:- यह सदा  सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पारा भगवान शिव का विग्रह कहलाता है और लक्ष्मी जी ने स्वयं कहा कि पारद ही मैं हंू और मेरा ही दूसरा स्वरूप पारद है। पारद श्रीयंत्र की महत्ता स्वयंसिद्ध है इसकी  यह तो जिस घर में स्थापित होती है वहां स्वयं ही आर्थिक उन्नति होने लगती है। अतः स्पष्ट है कि श्रीयंत्र एक अद्भुत यंत्र है, इसके महत्व का वर्णन करना सूर्य को दीपक दिखाना के बराबर  होगा। इसको घर में स्थापित कर स्वयं अनुभव करें।
इस यन्त्र की विशेषता यह  यंत्र प्रमुख रूप से ऐश्वर्य तथा समृद्धि प्रदान करने वाली अष्टलक्ष्मी  महाविद्या
पुरसुंदरी महालक्ष्मी का सिद्ध यंत्र है. यह यंत्र सही अर्थों में यंत्रराज है. इस यंत्र को स्थापित करने का तात्पर्य श्री को अपने संपूर्ण ऐश्वर्य के साथ आमंत्रित करना होता है. कहा गया है कि 
"श्री सुंदरी साधन तत्पराणाम्‌ , भोगश्च मोक्षश्च करस्थ एव"
अर्थात जो साधक श्री यंत्र के माध्यम से त्रिपुरसुंदरी महालक्ष्मी की साधना के लिए प्रयासरत होता है, उसके एक हाथ में सभी प्रकार के भोग होते हैं, तथा दूसरे हाथ में पूर्ण मोक्ष होता है. आशय यह कि श्री यंत्र का साधक समस्त प्रकार के भोगों का उपभोग करता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है. इस प्रकार यह एकमात्र ऐसी साधना है जो एक साथ भोग तथा मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है, इसलिए प्रत्येक साधक इस साधना को प्राप्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है.
इस अद्भुत यंत्र के  अनेक लाभ हैं, इनमें प्रमुख हैं -
* श्री यंत्र के स्थापन मात्र से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
* कार्यस्थल पर इसका नित्य पूजन व्यापार में विकास देता है.
* घर पर इसका नित्य पूजन करने से संपूर्ण दांपत्य सुख प्राप्त होता है.
* पूरे विधि विधान से इसका पूजन यदि प्रत्येक दीपावली की रात्रि को संपन्न कर लिया जाय तो उस घर में साल भर किसी प्रकार की कमी नही होती है.
*श्री यंत्र पर ध्यान लगाने से मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है. उच्च यौगिक दशा में यह सहस्रार चक्र के भेदन में सहायक माना गया है.
*यह विविध वास्तु दोषों के निराकरण के लिए श्रेष्ठतम उपाय है.
विविध पदार्थों से निर्मित श्री यंत्र

श्री यंत्र का निर्माण विविध पदार्थों से किया जा सकता है. इनमें श्रेष्ठता के क्रम में प्रमुख हैं-
श्री यन्त्र की  पदार्थ विशिष्टता
* पारद श्रीयंत्र पारद को शिववीर्य कहा जाता है. पारद से निर्मित यह यंत्र सबसे दुर्लभ तथा प्रभावशाली होता 

पारद मेरु श्री यंत्र अधिकतम लाभ देता है, जो न केवल सबसे अधिक, शुभ महत्वपूर्ण और शक्तिशाली यन्त्र  में से एक है, लेकिन यह भी लगभग हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित होता है. यह सब सांसारिक इच्छाओं को प्राप्त करने और आंतरिक लौकिक शक्ति एवं मानसिक शक्ति के माध्यम से सभी इच्छाओं को पूरा करने का स्रोत है. "श्री यंत्र" - श्री अर्थ धन और यंत्र - मतलब "साधन" - धन के लिए पारद  श्री यंत्र सामग्री और आध्यात्मिक धन के बारे में लाताहैं . पारद श्री यंत्र हमारे सभी इच्छाओं को  बेहतर करने के लिए हमारे जीवन को परिवर्तित करने लिए कि अस्पष्टीकृत शक्ति है.पारद श्री यंत्र निश्चित रूप से हमारे जीवन में सभी समस्याओं और नकारात्मकता का जवाब है. श्री (श्री) का उपयोग कर किसी भी व्यक्ति यंत्र बहुत अधिक समृद्धि, शांति और सद्भाव को प्राप्त होता है. पारद श्री यंत्र हमारे जीवन में सभी बाधाओं को तोड़ने में मदद करता है. दोनों आध्यात्मिक और भौतिकवादी - यह यन्त्र  हमें अनिश्चित काल के लिए और आसानी से विकास की सीमा बढ़ाने में मदद करता है. श्री यंत्र की भगवान शिव की पूजा और उपासना के शुक्राणुओं से उत्पन्न होने की विश्वास  है पापों को नष्ट कर देता है. यह पारद  से शुद्ध और शुभ वहाँ कुछ भी नहीं है कि प्राचीन वेदों में उल्लेख किया है. पारद  भी उच्च रक्तचाप, दमा जैसे विभिन्न रोगों को नियंत्रित करने में बहुत उपयोगी है और सेक्स पावर बढ़ाने. पारद भी आयुर्वेद में विशेष महत्व है. पारद लाभ ज्योतिषीय से फायदेमंद है और साथ ही वैज्ञानिक साबित हो गए हैं

पारद  श्री यंत्र सर्वोच्च ऊर्जा और ऊर्जा के स्रोत लहरों और किरणों के रूप में कुछ भी नहीं है लेकिन तत्व का दूसरा रूप है. पारद श्री यंत्र बेहद संवेदनशील है और शानदार चुंबकीय शक्ति है. पारद  श्री यंत्र ग्रहों और अन्य सार्वभौमिक वस्तुओं द्वारा उत्सर्जित विशेष कॉस्मिक रे लहर उठाओ और रचनात्मक कंपन में उन्हें बदलने जो ऊर्जा का एक दिव्य भंडार होने के लिए कहा है. ये तो इस प्रकार के आसपास के क्षेत्र के भीतर सभी विनाशकारी ताकतों को नष्ट करने,पारद  श्री यंत्र का  निर्माण किया  गया है जहां परिवेश को प्रेषित कर रहे हैं. पारद  श्री यंत्र एक छोटी सी अवधि में देखा जा सकता है जो सर्वोच्च छिपी शक्तियों के साथ श्रेय के साथ अपना प्रामाणिक प्रभाव  दिखाता  है. यह श्री यन्त्र - हमारे आश्रम में इस यन्त्र को तंत्रोक पद्धति  से सिद्ध किया जाता हैं।  इसके अंदर एक विशेष पावर जगायी जाती हैं ,  यन्त्र को अपने घर में स्थापित  करने से अलौकिक शक्तयों का आभास होना शुरू होजाता हैं , यह आपको इस यन्त्र को उपयोग  में लाने के पश्चात् ही अनुभव होगा। . 

अगर कोई इच्छित साधक इस यन्त्र को प्राप्त करना चाहे वोह  हमारे आश्रम से  प्राप्त कर सकता हैं  इसे कूरियर माध्यम से  आपके घर तक पहुचाया जायेगा।  एक बार अवश्य अनुभव कर  के देखे। . आपका विश्वास यही हमारा समाधान हैं। . 




संपर्क  -    09207 283 275 




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