जय महाकाल -
साधक दोस्तों जिस प्रकार ईश्वर हैं तो ये भी मानकर चलना होगा के भूत भी होते हैं किसी को दीखते हैं
बहोत से लोगों को नहीं दीखते हैं मगर तंत्र जगत में हर चीज को देखने की माया उपलब्ध हैं अर्थात
साधना सिद्धि के माध्यम से देखा जा सकता हैं जिस तरह आप अपने इष्ट की सेवा करते हैं ठीक वैसे ही
भूतों की साधना कर के उनको प्रत्यक्ष कर के उनसे काम भी लिए जा सकते हैं
जिस साधक के हृदय में विश्वास नहीं और गुरु पे श्रद्धा नहीं उसे मंत्र कभी सिद्ध नहीं हो सकते।
- प्रेत बीजोक्त मंत्र -
शान्ति, वक्ष्य, स्तम्भनानि, विद्वेषणोच्चाटने तथा।
गोरणों तनिसति षट कर्माणि मणोषणः॥
मारण मोहनं स्तम्भनं विद्वेषोच्चाटनं वशम्।
आकर्षण यक्षिणी चारसासनं कर त्रिया तथा॥
रोग कृत्वा गृहादीनां निराण शन्तिर किता।
विश्वं जानानां सर्वेषां निधयेत्व मुदीरिताम्॥
पूधृत्तरोध सर्वेषां स्तम्भं समुदाय हृतम्।
स्निग्धाना द्वेष जननं मित्र, विद्वेषण मतत॥
प्राणिनाम प्राणं हरपां मरण समुदाहृमत्।
इस साधना को अमावस्या के बाद आपको ११ दिनों के लिये रात्रिकाल मे समय देना है समय रात्री मे १०:४० बजे का होगा,और एक वट-वृक्ष को ढूंढ कर जहाँ कोई आता जाता ना हो। वहाँ करनी हैं अन्यथा शमसान में या फिर एकांत कमरे में कर सकते हो। .... साधना के लिए .........काले भेड़ का आसान काले वस्र साधना मे आवश्यक है, गुरु से सिद्ध की हुई काली हकीक की माला , कला भूत नामक इत्तर की व्यवस्था पहेले से ही करके रख लीजियेगा ... ,साधना से पूर्व ही गुरुमंत्र दिशा आसान बांध लेना हैं , तत्त पश्चात् नरमुंड की खोपड़ी में अंकोल के तेल का दीपक जला कर मूल मंत्र का जाप अधिक से अधिक कर लेना है.... क्यू की यह साधना अत्यधिक उग्र एवं तीव्र मानी जाती है,कमजोर हृदय वाले साधक गलती से भी इस साधना को करनेका प्रयास न करे अन्यथा हानि होने की सम्भावना अधिक हैं। .. गुरु मार्गदर्शन में रहकर इस साधना को करे। ..
| इस तरह साधना सफल होने पर सभी प्रकार के भूत प्रेत और पिशाच आपके नियंत्रण में आ जायेगे | सभी प्रकार के भूत प्रेत और पिशाच इत्यादि पर काबू करने में आप सफल हो जायेगे | और वे सभी आपकी आज्ञा का पालन करेंगे |और आपका कहा हुआ हर काम पूरी ईमानदारी से करेंगे |इस मंत्र के प्रभाव से सभी तरह के यक्ष ,पिशाच , भूत तथा अन्य प्रकार की इतर योनी आपके कहने अनुसार काम करेंगे। .. अर्थात समझ लीजिये सर्व कार्य साधन। .. सफल हैं। ........ .......
-भूत प्रेत मन्त्र -
ॐ ह्रौं....क्रौं क्रौं....क्रुं फट फट कट कट.... ....ह्रीं ह्रीं भूत प्रेत भूतिनी प्रेतिनी आगच्छ आगच्छ ह्रां ह्रीं ठ ठ
- विशेष चेतावनी -
संपर्क - 91 + 9207283275
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