कन्या विवाह हेतु एक सरल प्रयोग

- जय महाकाल -

कन्या विवाह हेतु एक सरल प्रयोग -




प्रस्तुत ‘प्रार्थना’ माँ सीता ने भगवान् राम को पति-रुप पाने हेतु यह प्रयोग   किया था। पहले शुद्ध होकर दुर्गा जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठे। फिर दुर्गा का भक्ति-भाव से अधीर होकर ‘पञ्चोपचार पूजन’ करे। पूजन के बाद प्रणाम करे -


“ॐ श्रीदुर्गायै सर्व-विघ्न-विनाशिन्यै नमः।”
पुनः हाथ जोड़कर ‘प्रार्थना’ करे-
“ॐ सर्व-मंगल-मांगल्ये, सर्व-काम-प्रदे शिवे ! देहि मे वाञ्छितं नित्यं, नमस्ते शंकर-प्रिये।”
फिर, निम्न-लिखित मन्त्र का कम-से-कम २१ बार पाठ करे -
“ॐ दुर्गे शिवे अभये माये, नारायणि सनातनि ! जये मे मंगलं देहि, नमस्ते सर्व-मंगले।।”
उक्त मन्त्र का २१ बार पाठ करने के बाद गाय के घी, शहद, मिश्री, लाल चन्दन-चूरा, अर्जुन की छाल, कमल गट्टे से हवन करे। अँगीठी में 
आम की लकड़ी की अग्नि या गाय के गोबर के कण्डे की अग्नि में निम्न  लिखे देवी -मन्त्रों से ११ बार नित्य हवन करे -
१॰ ॐ श्रीदुर्गायै नमः स्वाहा, २॰ ॐ श्रीशिवायै नमः स्वाहा, ३॰ ॐ श्री अभयायै नमः स्वाहा, ४॰ ॐ श्रीमायायै नमः स्वाहा, ५॰ ॐ श्रीनारायण्यै नमः स्वाहा, ६॰ ॐ श्रीसनातन्यै नमः स्वाहा, ७॰ ॐ श्रीजयायै नमः स्वाहा, ८॰ ॐ श्रीमंगलायै नमः स्वाहा, ९॰ ॐ श्री सर्व-मंगलायै नमः स्वाहा।

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