कडवा सत्य ....!
सत्यम शिवम् सुन्दरम ..सत्य ही शिव है ..शिव ही सुन्दर है ...
मेरे साधक मित्रो आज मैं आपको कडवे सत्य से अवगत कराने जा रहा हूँ ..
मित्रो कोई भी साधना हो , तंत्र या मंत्र ,यंत्र .ये सब शिव तत्त्व से ही प्रेरित है ..
उनके बगैर न कोई तंत्र चले न कोई मंत्र ..! जब तक उनको न पूजा जाये तब तक कोई भी तांत्रिक क्रिया संपन्न नहीं होती ..यह ध्यान धरे ..!
भगवन शिव के कई रूप है ..कई अवतार है .और हर अवतार का कार्य अलग अलग है .
शिव ही देवो के देव महादेव है .,महाकाल है , अघोरिनाथ।। है हर रूप अलग कार्य करता है ..
धरती यानि पञ्च तत्त्व उन्ही से चलती है .इसीलिए उन्हें पञ्चमुखी कहा गया है ...उनके पांचो मुख से अलग अलग वाणी का उत्सर्जन होता है ..जिसे हम ...(अ ..कार ),( व् कार ) ,( ऊ… कार)..( म ..कर).जिससे बनता है ..ऊंं अर्थात ॐं ..यही वाणी हर मंत्र ..को प्रेरित करती है ..तब जाके मंत्रो में विशेष लहर दौड़ती है ..और उससे मंत्र कार्य करने लगता है ...!
मगर अफ़सोस मेरे मित्रो ..आज के युग में जो आडम्बर हो रहा है धर्म के नाम पर वो निंदनीय है ..(क्या हो रहा है ..)?
तो मित्रो ..आज कल कुछ पाखंडी लोग पंडाल ठोक ठोक कर ..दीक्षा देने का काम चला रहे है ..कुछ असामाजिक तत्त्व के लोग भगवान् की बनायीं हुई चीजो पर अर्थात उनके मंत्रो को अपनी जागीर ..बना कर उन्हें पाखंड के नाम के आश्रम बना बना कर उन्हें बेचने का काम कर रहे है ..!
एक स्वाइन फ्लु की बीमारी फैली हुई है उसी प्रकार लोग एक दुसरे को संक्रमण फैला रहे हे . बिना उनके बारे में जाने ..दीक्षा लेने के लिए भेड़ बकरियों की तरह ललचा रहे हैं ..यह सोच कर की ..एक दिन में ही सिद्धिय मिल जाएँगी अगर ऐसा होता तो ,,पुरानकाल में ऋषि मुनियों को कई सालो तक तस्या क्यूँ करनी पड़ी जंगल में इसीलिए साधक मित्रो मेरा अप लोगो से आवाहन है ..ऐसे ठगानंद के आश्रमों से बचे और अपना कीमती वक़्त बर्बाद न करे ..ये लोग सिर्फ अपना समुदाय का प्रचार कर प्रसिद्धि पाने के लिए खुद को ही भगवान् मानने का दावा करते है ..जो की कहीं से भी सत्य नहीं है .....!
.इन मेसे कुछ लोग ऐसे भी है ..की चार किताबे संस्कृत की पढली है ..तो अपने आप को विद्वान समझ बैठे है ..और लोगो को अपने पुराने ग्रंथो का संस्कृत translation करके लोगो व्याख्यान ..दे कर ..अपने आप को स्वामीजी कहलाने के लिए ..प्रचार कर रहे है ..और तो और अपने नाम के आगे एक किस्म की उपाधि लगाकर जेसे के ( स्वामिनंद , नित्यानंद , मठाधीश नन्द , देवानंद , फलानानंद , ढीमका नन्द ) इस प्रकार के नाम रख कर सफ़ेद धोती पेहेन कर माथे पर टिका लगा कर बड़े विद्वान बन ..अपना प्रचार कर रहे है ..!
जो की बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है ..लोग तो बेचारे अज्ञानी है .उनके अज्ञानता का फायदा उठा कर ये लोग .दीक्षा के नाम पर पंडाल ठोक कर ..अपना बैंक बैलेंस बना रहे है .!
मेरा अनुरोध है साधक गणों से से ऐसे धोकेबाज समाज के ठगों से बच के रहे ...! जो सिर्फ अपने एक ठगी वाले पंडालो के माध्यम से अध्यात्मिक का ढोंग रचाकर लोगो को गुमराह कर रहे है ..! और इन लोगो को अपने जूते पहने हुए पैरोमे लोगो से धोक खिलवाने मे आनंद आता है।। . ऐसे .नकली और मक्कार टाइप (ठगानंदजी ) और इनके आश्रमों से बच के रहे ..!
मेरे साधक मित्रो जब तक आप का ध्यान शिव साधना में नहीं लगेगा तब तक जान लीजिये की तब तक आप को दिव्यता का अनुभव नहीं होगा ..इनके बगैर कोई सिद्धि प्राप्त ही नहीं होती ..सब से पहले अपने इष्ट के प्रति सच्ची भक्ति और निष्ठा जागृत नहीं होती तब तक ..आप किसी भी साधना में संपूर्ण नहीं हो सकते .!
जब ये जागृत होने लगेगा तब आप के पास सिद्धियों के कई विकल्प अपने आप ही सामने आते जायेंगे ..ये हमारा जगता अनुभव है ..!
मित्रो सिद्धियों के लिए कई वर्षो कई महीनो तक भटकना पड़ता है यातना भोगनी पड़ती है .तब तक कोई योगीनाथ , अघोरिनाथ महाराज , हम पर कृपा बरसाकर एक सिद्धि दान करते है ..इसमें कई वर्ष लग जाते है ..यही असली परंपरा है ..! हमने भी कई साल गुजार दिए है इस मार्ग में ..तब जाकर इस तीव्र विलक्षण चरम सीमा तक पहुंचे ..!
मित्रो अगर मैं अपनी सनातन धर्म के कई मंत्रो एवं तंत्रों का खुलासा जग जहीर तरीके से कर रहा हूँ तो कुछ पाखंडी आश्रम वालो के पेट में दर्द हो रहा है।। वोह नहीं चाहते की मैं इन दिव्या मंत्रो का खुलासा करूँ ..क्यूँ की इनकी दूकान बंद हो जाएगी ..इसलिए उनको तकलीफ हो रही उहै .. उनके पेट में दर्द हो रहा है ..हमसे कह रहे है की ..तुम इन मंत्रो का खुला सा न करे ..डायरेक्ट लोगोको न दे ..ब्लॉग के जरिये .! क्यूँ की मैं तो निशुल्क लोगो के सामने रहस्योदघाटन कर रहा हूँ इसलिए ..इन्हे डर सत रहा है कहीं इनके पंडाल बंद न हो जाये ..! कई लोगो ने मुझे गलत सलत कॉमेंट्स तक दे दिए ...!
मगर कुछ समाज के ढोंगी आचार्य बने हुए है ..उनका हम जेसे ( अघोर पंथ के ) समुदाय के विरुद्ध में .. लोगो में गलत भावनाए भड़का रहे है ..!
..
.मैं यह मंत्रो का खुलासा अपनी मर्ज़ी से लोगो के सामने निस्वार्थ भावना से कर रहा हूँ .
.मन्त्र तंत्र शक्तिया किसी के बाप की जागीर नहीं है ..जो मुझ पर पाबन्दी लगाये ..!
मगर मेरी उन पाखंडी लोगो को हिदायत है .अगर मेरे काम में किसीने भी या किसी भी आश्रम वश्रम के ढोंगी व्यक्ति .ने टांग अडा ने की कोशिश की तो ... इस ( अघोरी से ) उलझने का प्रयास करने की कोशिश करे ।। ये मेरी चेतावनी है ..उसे बक्शा नहीं जायेगा ..यहीं से बैठे बैठे उखाड़ दूंगा ..उसे चाहे वो किसी भी पंडाल का क्यूँ न हो।।
और मुझे गलत कॉमेंट्स लिखने वालो ध्यान में रहे ..कोई भी गलतसलत बाते कमेन्टस में नजर में आई तो वोही जहा तू बैठा ..हे वोही पर उखाड़ के रख दूंगा ये मेरा खुला चलेंगे ..है ...!
तो मेरे साधक मित्रो सावधान आडम्बर में न पड़े ..शिव का ध्यान करे ..उनसे प्रार्थना करे की उनकी जिज्ञासा को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद प्रदान करे ...! अगर ऐसा करेंगे तो जरुर आपको कुछ समय के अंतराल के बाद दिव्यता का अनुभव होने लागेगा ..जब ऐसा होने लगे तब समझ लेना (बाबा महाकाल , औघरनाथ की ..कृपा दृष्टी होने लगी है ..ये आपके मनोकामनाओ के द्वार खोल देगी ,,..ये हमारा दावा है ...!
जय बम्म भोले औघड्नाथ की सदा ही जय हो ...!
मेरे साधक मित्रो आज मैं आपको कडवे सत्य से अवगत कराने जा रहा हूँ ..
मित्रो कोई भी साधना हो , तंत्र या मंत्र ,यंत्र .ये सब शिव तत्त्व से ही प्रेरित है ..
उनके बगैर न कोई तंत्र चले न कोई मंत्र ..! जब तक उनको न पूजा जाये तब तक कोई भी तांत्रिक क्रिया संपन्न नहीं होती ..यह ध्यान धरे ..!
भगवन शिव के कई रूप है ..कई अवतार है .और हर अवतार का कार्य अलग अलग है .
शिव ही देवो के देव महादेव है .,महाकाल है , अघोरिनाथ।। है हर रूप अलग कार्य करता है ..
धरती यानि पञ्च तत्त्व उन्ही से चलती है .इसीलिए उन्हें पञ्चमुखी कहा गया है ...उनके पांचो मुख से अलग अलग वाणी का उत्सर्जन होता है ..जिसे हम ...(अ ..कार ),( व् कार ) ,( ऊ… कार)..( म ..कर).जिससे बनता है ..ऊंं अर्थात ॐं ..यही वाणी हर मंत्र ..को प्रेरित करती है ..तब जाके मंत्रो में विशेष लहर दौड़ती है ..और उससे मंत्र कार्य करने लगता है ...!
मगर अफ़सोस मेरे मित्रो ..आज के युग में जो आडम्बर हो रहा है धर्म के नाम पर वो निंदनीय है ..(क्या हो रहा है ..)?
तो मित्रो ..आज कल कुछ पाखंडी लोग पंडाल ठोक ठोक कर ..दीक्षा देने का काम चला रहे है ..कुछ असामाजिक तत्त्व के लोग भगवान् की बनायीं हुई चीजो पर अर्थात उनके मंत्रो को अपनी जागीर ..बना कर उन्हें पाखंड के नाम के आश्रम बना बना कर उन्हें बेचने का काम कर रहे है ..!
एक स्वाइन फ्लु की बीमारी फैली हुई है उसी प्रकार लोग एक दुसरे को संक्रमण फैला रहे हे . बिना उनके बारे में जाने ..दीक्षा लेने के लिए भेड़ बकरियों की तरह ललचा रहे हैं ..यह सोच कर की ..एक दिन में ही सिद्धिय मिल जाएँगी अगर ऐसा होता तो ,,पुरानकाल में ऋषि मुनियों को कई सालो तक तस्या क्यूँ करनी पड़ी जंगल में इसीलिए साधक मित्रो मेरा अप लोगो से आवाहन है ..ऐसे ठगानंद के आश्रमों से बचे और अपना कीमती वक़्त बर्बाद न करे ..ये लोग सिर्फ अपना समुदाय का प्रचार कर प्रसिद्धि पाने के लिए खुद को ही भगवान् मानने का दावा करते है ..जो की कहीं से भी सत्य नहीं है .....!
.इन मेसे कुछ लोग ऐसे भी है ..की चार किताबे संस्कृत की पढली है ..तो अपने आप को विद्वान समझ बैठे है ..और लोगो को अपने पुराने ग्रंथो का संस्कृत translation करके लोगो व्याख्यान ..दे कर ..अपने आप को स्वामीजी कहलाने के लिए ..प्रचार कर रहे है ..और तो और अपने नाम के आगे एक किस्म की उपाधि लगाकर जेसे के ( स्वामिनंद , नित्यानंद , मठाधीश नन्द , देवानंद , फलानानंद , ढीमका नन्द ) इस प्रकार के नाम रख कर सफ़ेद धोती पेहेन कर माथे पर टिका लगा कर बड़े विद्वान बन ..अपना प्रचार कर रहे है ..!
जो की बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है ..लोग तो बेचारे अज्ञानी है .उनके अज्ञानता का फायदा उठा कर ये लोग .दीक्षा के नाम पर पंडाल ठोक कर ..अपना बैंक बैलेंस बना रहे है .!
मेरा अनुरोध है साधक गणों से से ऐसे धोकेबाज समाज के ठगों से बच के रहे ...! जो सिर्फ अपने एक ठगी वाले पंडालो के माध्यम से अध्यात्मिक का ढोंग रचाकर लोगो को गुमराह कर रहे है ..! और इन लोगो को अपने जूते पहने हुए पैरोमे लोगो से धोक खिलवाने मे आनंद आता है।। . ऐसे .नकली और मक्कार टाइप (ठगानंदजी ) और इनके आश्रमों से बच के रहे ..!
मेरे साधक मित्रो जब तक आप का ध्यान शिव साधना में नहीं लगेगा तब तक जान लीजिये की तब तक आप को दिव्यता का अनुभव नहीं होगा ..इनके बगैर कोई सिद्धि प्राप्त ही नहीं होती ..सब से पहले अपने इष्ट के प्रति सच्ची भक्ति और निष्ठा जागृत नहीं होती तब तक ..आप किसी भी साधना में संपूर्ण नहीं हो सकते .!
जब ये जागृत होने लगेगा तब आप के पास सिद्धियों के कई विकल्प अपने आप ही सामने आते जायेंगे ..ये हमारा जगता अनुभव है ..!
मित्रो सिद्धियों के लिए कई वर्षो कई महीनो तक भटकना पड़ता है यातना भोगनी पड़ती है .तब तक कोई योगीनाथ , अघोरिनाथ महाराज , हम पर कृपा बरसाकर एक सिद्धि दान करते है ..इसमें कई वर्ष लग जाते है ..यही असली परंपरा है ..! हमने भी कई साल गुजार दिए है इस मार्ग में ..तब जाकर इस तीव्र विलक्षण चरम सीमा तक पहुंचे ..!
मित्रो अगर मैं अपनी सनातन धर्म के कई मंत्रो एवं तंत्रों का खुलासा जग जहीर तरीके से कर रहा हूँ तो कुछ पाखंडी आश्रम वालो के पेट में दर्द हो रहा है।। वोह नहीं चाहते की मैं इन दिव्या मंत्रो का खुलासा करूँ ..क्यूँ की इनकी दूकान बंद हो जाएगी ..इसलिए उनको तकलीफ हो रही उहै .. उनके पेट में दर्द हो रहा है ..हमसे कह रहे है की ..तुम इन मंत्रो का खुला सा न करे ..डायरेक्ट लोगोको न दे ..ब्लॉग के जरिये .! क्यूँ की मैं तो निशुल्क लोगो के सामने रहस्योदघाटन कर रहा हूँ इसलिए ..इन्हे डर सत रहा है कहीं इनके पंडाल बंद न हो जाये ..! कई लोगो ने मुझे गलत सलत कॉमेंट्स तक दे दिए ...!
मगर कुछ समाज के ढोंगी आचार्य बने हुए है ..उनका हम जेसे ( अघोर पंथ के ) समुदाय के विरुद्ध में .. लोगो में गलत भावनाए भड़का रहे है ..!
..
.मैं यह मंत्रो का खुलासा अपनी मर्ज़ी से लोगो के सामने निस्वार्थ भावना से कर रहा हूँ .
.मन्त्र तंत्र शक्तिया किसी के बाप की जागीर नहीं है ..जो मुझ पर पाबन्दी लगाये ..!
मगर मेरी उन पाखंडी लोगो को हिदायत है .अगर मेरे काम में किसीने भी या किसी भी आश्रम वश्रम के ढोंगी व्यक्ति .ने टांग अडा ने की कोशिश की तो ... इस ( अघोरी से ) उलझने का प्रयास करने की कोशिश करे ।। ये मेरी चेतावनी है ..उसे बक्शा नहीं जायेगा ..यहीं से बैठे बैठे उखाड़ दूंगा ..उसे चाहे वो किसी भी पंडाल का क्यूँ न हो।।
और मुझे गलत कॉमेंट्स लिखने वालो ध्यान में रहे ..कोई भी गलतसलत बाते कमेन्टस में नजर में आई तो वोही जहा तू बैठा ..हे वोही पर उखाड़ के रख दूंगा ये मेरा खुला चलेंगे ..है ...!
तो मेरे साधक मित्रो सावधान आडम्बर में न पड़े ..शिव का ध्यान करे ..उनसे प्रार्थना करे की उनकी जिज्ञासा को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद प्रदान करे ...! अगर ऐसा करेंगे तो जरुर आपको कुछ समय के अंतराल के बाद दिव्यता का अनुभव होने लागेगा ..जब ऐसा होने लगे तब समझ लेना (बाबा महाकाल , औघरनाथ की ..कृपा दृष्टी होने लगी है ..ये आपके मनोकामनाओ के द्वार खोल देगी ,,..ये हमारा दावा है ...!
जय बम्म भोले औघड्नाथ की सदा ही जय हो ...!
aap ki baat 100% sahi hai . dil ko chu jane bali hai
जवाब देंहटाएंJay mahakaal
हटाएंPranaam Mahraj main aap se shat Pratishat sahmat hu...ek aagrah hai aapse agar ap facebook bhi use karte hain to kripya is sundar manch ki sadasyata grahan karke anugrahit kare..
जवाब देंहटाएं- Sharad Tripathi
Jay mahakaal
हटाएंPranaam Mahraj main aap se shat Pratishat sahmat hu...ek aagrah hai aapse agar ap facebook bhi use karte hain to kripya is sundar manch ki sadasyata grahan karke anugrahit kare..
जवाब देंहटाएंye hai link
https://www.facebook.com/groups/161627104036670/
Jay mahakaal
हटाएंआदेश गुरुजी।।
जवाब देंहटाएंप्रणाम।।
Jay mahakaal aadesh
हटाएं