बाबा जिन्न की साधना


जय महाकाल - 



 बाबा जिन्न की साधना -

  मित्रो आज आपको रूबरू करवायेंगे जिन्न और जिन्नातों के विषय में। दोस्तो  जीन कई प्रकार के और कई तरह के होते हैं। . खास कर के इस्लामिक तंत्र में अक्सर  देखा गया हैं की वह सबसे ज्यादा प्रयोगो में जिन्नातों का इस्तेमाल कर के अपने कहे हुए कामों को बखूबी करते हैं । और जिन्न हर वो कार्य करता हैं। . जो  उसे कहा जाये। .. जिन्न भी पाक और ना पाक दोनों प्रकार के होते हैं। .. जिस प्रकार परिया। .. और हूर होती हैं ठीक वैसे से ही जिन्न  भी कार्यरत होते हैं। .. उनकी खासियत पलक झपकते हैं किसी भी कार्य को आसानी कर के आना। .  उनमे मुख्यत  पाक जिन्न अच्छे कार्य करते हैं। और . नापाक जिन्न बुरे कार्यों को अंजाम देते हैं। मगर ये सब जिन्न  जिनके अंतर्गत आते हैं वो सब अल्लाह के लिए दुवा  पढ़ लेते हैं। . और उनके अल्लाह से डरते भी हैं। . मगर कुछ जिन्न बहोत ही बेशर्म किस्म के होते हैं। . जिनको किसी अल्लाह या भगवान  का खौफ नहीं होता वो नापाक जिन व्यक्ति को परेशां करते हैं   .. मित्रो एक बात बता   देना चाहता हूँ। . जो व्यक्ति जैसी भावना रख कर कार्य करेगा। .. उसके साथ भी कुदरत वैसा ही कार्य करेगी। . किसी का अहित सोचोगे तो तुम्हारा अहित निश्चित तय हो जाता हैं। किसी संत ने कहाँ हैं .. ( कर भला तो हो भला और भले का अंत ही हैं भला। ..

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लिए मित्रों जान लेते हैं इस बाबा जिन्न की साधना के बारे में ,जिन्नो के बारे में जानकारी मिलती हैं की जिन्नो की भी अपनी एक अलग दुनिया होती हैं। बहोत बार ऐसा होता है की वोह अपने इर्द गिर्द होते हुए भी आम इंसान जिन्नो को नहीं पहचान पाते। . सूफी किसम के जिन्न भी होते हैं।  जो पीर बाबा का रूप धारण कर  के अपने साधक को दर्शन देते हैं। . उनके साथ रहते हैं। . उनके हर काम करते हैं। उनकी हर कामना पूर्ण  करते हैं 
आज यहाँ पर जो जिन्न बाबा का मंतर दिया जा रहा हैं | वो हमारे एक परम मित्र के माध्यम से प्राप्त हुआ हैं | जो जिन्नो के साधना में रूचि रखते हैं। उनके फरमाइश पर साधको के लिए यह मंत्र प्रकाशित कर रहे हैं। . 


जिन्न मंत्र - 

" बिस्मिल्लाहेहिर्ररहेमानिर्रहीम या अलीमुल फ़त्ताहो नम्बरी ,अल्लिमनि विस्सीद की बस्साऊ अति " 



विधि - 

इस जिन्न मंत्र को विस्तार विधि के  साथ करे शुभ महूरत नौ चंदी , का महूरत देखे , असली लोबान की धुनि दे  हाथ से बनी  बखुरियत इस्तेमाल  में लाये , काले गुलाब का फूल , ईत्तर  चमेली का अर्क ,( केमिकल का इतर नहीं चलेगा ) प्रयोग में लाये 
निर्मल जल , पतासे सिरनि भोग के  लिए रखे। . इस साधना को सिद्ध आसन और गुरु द्वारा  सिद्ध की हुई तस्बीह से १३३३ दफा  रोजाना , तय समय पर ही जप करे ऐसा आपको ४१ दिन तक साधना करे। . ( विशेष बात ) इस मंत्र को गुरु की अनुमति लेकर उनका आशीर्वाद लेकर ही शुरुवात करे।  अगर ऐसा नहीं करते हो। .. तो इसके हानि के जिम्मेदार साधक खुद ही होंगे गुरु के निर्देश में रहकर साधना करे। . आपके लिए हितकारी रहेगा। . 

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