पितृ दोष से कैसे बचे


जय महाकाल -


पितृ दोष से कैसे बचे 


pitru dosh


pitru shanti



हिन्दू धर्म के पुराने  शास्त्र के अनुसार किसी जातक के कुंडली में  सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। अर्थात व्यक्ति के कुंडली में जो इन दो ग्रहों  से दोष उत्पन्न होता हे , इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।
वैसे आम इंसान को इन दोषों के बारे में आसानी से समझ  नहीं आता किसी से सलाह लेने के बाद ही उनको पता चल जाता हैं | तब इंसान उसके इलाज के लिए ढूंढ़ते रहता हैं |  कुंडली में अगर पिता  का घर अर्थात धर्म का  घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं हैं | जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है , लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं, नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की समस्या में  घिरा रहता है, और जब तक उसका माप दंड पूरा नहीं होता तब तक वोह पीड़ित रहता हैं , वह  व्यक्ति  अपने उप जीविका के लिये तरसता रहता है, वह किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से पीड़ित होता है। किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती | 


पितृ पक्ष में पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक शाम को एक सरसों के तेल, या गाय के घी का दीपक दक्षिण मुखी लौ करके जलाये ।
२) पितृ पक्ष में प्रतिदिन पितरों के निमित्त तर्पण करे या किसी भी जानकार से  करवायें ।
३ ) पितृ पक्ष में प्रतिदिन पितृ सूक्त के पितृ गायत्री का संपुट लगाकर के अधिक से अधिक पाठ करे या करवाये वैसे ११oo  पाठ में अनुष्ठान की पूर्णता होती है ।

४ ) पितृ पक्ष में प्रतिदिन पितृ गायत्री मंत्र का जप अवश्य करें । पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी ।
५ ) प्रत्येक श्राद्ध वाले दिन यथाशक्ति  गरीबों को भोजन कराये और यथाचित दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें ।
६ ) प्रत्येक श्राद्ध वाले दिन गाय, कुत्ते, चीटियों, और कौआ को भी भोजन प्रदान करना चाहिए ।
७ ) पितृ पक्ष में पितरों की अनुकूलता पाने हेतु श्री मद्भागवत महापुराण का मूल पाठ तथा श्रीमद्भगवद गीता का पाठ आदि भी किये जा सकते है ।
या किसी पुराने शिवालय में जा कर भगवान शिव की  पंचोपचार से पूजन कर के यथा शक्ति नित्य जाप करे | 
या शिव रूद्र का  पाठ करना चाहिए |  
हनुमान चालीसा का पाठ भी शुभ फलदायी माना गया हैं | 
 उपरोक्त सभी उपायों में से एक उपाय सच्चे मन से करे आपको सर्व दोष और बाधाओं से निश्चित ही मुक्ति मिल जाती हैं | 

पितृ दोष निवारण मंत्र -
ऊँ सर्व पितृ प्रं प्रसन्नों भव ऊँ
जप विधि-
पितृ पक्ष में प्रत्येक दिन व प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर भगवान सूर्य नारायण की ओर मुख करके उनका पूजन करें और  अर्ध्य दें।
 इसके बाद कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करें।
कम से कम ५  माला जप अवश्य करें।
एक ही समय, स्थान, माला व आसन होने से अति  शीघ्र लाभ होता है।
 जप अनुष्ठान किया जा सकता है ।
 सर्व पितृ आमावस्या के दिन ब्राह्मणों, या गरीबों को भोजन कराने से पितृ पक्ष में भूलवश कोई श्राद्ध करने से छूट गया हो तो उसकी पूर्ति अमावस्या को हो जाती है ।
पितरों की प्रसन्नता के लिए प्रत्येक महीने की अमावस्या तिथि को सरसों के तेल का दीपक सूर्यास्त के समय दक्षिण मुखी जलाना चाहिए ।
जिससे पितरों को शांति मिल कर अपने घर में शांति प्रस्थापित होती हैं | शनैः शनै  बाधा समाप्त होते रहती हैं , एवं दोषों का शमन होते रहता हैं | 





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