|| जय महाकाल ||
गुप्त शिव शाबर मंत्र - Gupt Shiv shabar mantra
शिव कौन हैं कहाँ से आये कैसे इनकी उत्पत्ति हुई ऐसा प्रश्न किसी किसी साधक के मन में अवश्य उपस्थित होता होगा, जो सच्चा शिव भक्त या शिव साधक हो तो अवशय ये प्रश्न मन में आता ही होगा और आना भी चाहिए जो भगवान शिव से प्रेम करते हैं क्यों न उनमे उत्कंठा बढे आज उनके विषय में कुछ ज्ञान विचार विमर्श करते हैं मित्रो शिव एक शक्ति हैं एक सृष्टि हैं जिसे न अब तक साधारण व्यक्ति जान पाया हैं जो उनके भक्ति में लीन हुए सिद्ध हुए वे शिव तत्त्व को प्राप्त हुए वोही जान पाए परन्तु उन्होंने जानने के बाद उनका रहस्य अपने मन मस्तिष्क में ही रख कर लुप्त हो गए ऐसे सिद्ध महापुरुषों को मेरा नमन कुछ सिद्ध पुरष हमारे बिच हुए वे भी जानते हैं पर जानने के बाद रहस्य की भांति उसको गुप्त रखने में ही भलाई समझते हैं|| तो मित्रो शिव को जानना हैं तो उनके भक्ति में लीन होकर उनका आभास कीजिये दिव्य और दुर्लभ अनुभव अवश्य करेंगे ये सत्य हैं। शिव के बारे में कुछ संक्षिप्त में जानते हैं शिव यह ब्रम्हांड के आदि देव महादेव कहलाते हैं वोही आदि हैं और वोही अनादि अनंत हैं जिसका कोई छोर नहीं हैं कहाँ तक उनका विस्तार हैं स्वयं देवता गण भी नहीं जानते | शिव यानि सृष्टि का कल्याण करने वाले शिव भगवान ये स्वयंभू हैं जिन्हे किसी ने निर्माण नहीं किया उनका स्वरुप निराकार और निरामय हैं वे कई आदि अनादि काल से सृष्टि में विचरण करते हुए स्थिर हैं कितनी सादिया बीत गयी परन्तु शिव अपने योग ध्यान में व्यस्त और सृष्टि का सृजन करने में लगे हुए हैं | साधक मित्रों शिव के बारे में जानने के लिए यह मेरा लेख भी काम पद जायेगा | चलते हैं शिव के बनाये हुए दिव्या मन्त्रों के बारे में , वैसे शिव जी के कई मंत्र हैं उनमे से प्रचलित मंत्र कलयुग में जो देवताओं को दुर्लभ हैं और मानव जीवन का कल्याण करने वाला मंत्र यह इस प्रकार हैं ||
|| ॐ नमः शिवाय ||
इस मंत्र को नित्य पूजन में रखिये कोई संख्या निश्चित न हो तब भी साधक को आत्मिक शांति अवश्य प्राप्त होगी कोई विशेष विधि विधान न हो बस पवित्र हो कर पवित्र मन से चलते फिरते शिव मन्त्र को रटते रहिये एक वर्ष में चमत्कार स्वयं ही देखे इस मन्त्र के लिए किसी गुरु की आवश्यकता नहीं सबके बाप गुरु शिव स्वयं ही हैं बस अंतर मन से जाप कीजिये फिर देखिये कमाल बाबा का जीवन चमत्कारों से भर जायेगा बस धैर्य और जिज्ञासा होनी चाहिए
दूसरा मंत्र हैं महामृत्युंजय जिसका कोई तोड़ नहीं यह मंत्र अपने आपमें दवा हैं हर दुःख दर्द का तकलीफ का इलाज इस मंत्र में हैं बाबा स्वयं बैद्य हैं बारह ज्योतिर्लिंग में बाबा को बैद्यनाथ कहा गया हैं चार वेदों में से यजुर्वेद में उनका विशेष योगदान हैं सारी जड़ी बूटियों के निर्माता भी शिव ही हैं |
- महामृत्युंजय मंत्र -
|| ॐ त्र्ययम्बकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बंधनान मृत्युर्मुक्षीय मामृतात ||
यह मंत्र साक्षात काल को हरने वाला और जीवन दान देने वाला मंत्र हैं मृत्यु भय को काटने वाला हर भय से मुक्त कराने वाला चमत्कारी मंत्र हैं दैत्यराज शुक्राचार्य को यह मंत्र शिवजी ने प्रदान किया था जिससे दैत्य राक्षस भी इस मंत्र से पुनर्जीवित हो जाते थे ऐसे अपने भोले शिव थे जिनमे कोई भेद भाव नहीं था जो उन्हें भजता वो उनको वरदान दे देते थे || चाहे वो देव हो या दानव सबके प्रिय देवता हैं शिव ||
इस मंत्र से अकाल मृत्यु ,भय,क्रुरु काल भय,ग्रह पीड़ा पितृ पीड़ा रोग दोष आधी व्याधि श्राप ताप भूत प्रेत,बाधा दुष्ट ग्रहों की पीड़ा इत्यादि क्या नहीं ठीक होता? हर चीज का इलाज इस मंत्र में हैं चौरासी लाख योनि पीड़ा से मुक्त हो कर व्यक्ति जन्म मृत्यु के फेरे से निकल कर शिवत्व को और मोक्ष को प्राप्त हो जाता हैं बस इसे अपने जीवन में उतार लीजिये नित्य इस मंत्र का जाप पूजन में किजिए अगर आपने एक वर्ष में या उससे पहले सवा लाख जाप पूर्ण कर अनुष्ठान कर लिए तो साधक दोस्तों साधना क्षेत्र में आपको कोई पराजित नहीं कर सकता। परन्तु चित्त शुद्ध निर्मल पवित्र और परोपकार की भावना आप में होनी चाहिए तभी इस वर की अपेक्षा कीजिये |
जो साधक अघोर साधना में रूचि रखते हैं वे निम्न मंत्र का जाप कीजिये यह जाप विशेष नियम के अंतर गत कीजिये अपने गुरु से आज्ञा ले कर जाप को करें ||
|| औघड़ शिव मंत्र ||
|| ॐ ह्रां ह्रीं हूं अघोरेभ्यो सर्व सिद्धि देहि देहि अघोरेश्वराय हूं ह्रीं ह्रां ऊँ फट्ट ||
-विधान -
इस मंत्र को विशेष काली चौदस अमावस पक्ष में शमसान में या शून्य शिवालय में आसन के मध्य चिता की भस्म बिछा कर उस पर बैठ कर मध्य रात्रि में पूर्व की और मुख कर के नित्य २१०० जाप करे जाप से पूर्व अपना शरीर बंधन अवश्य करे ऐसा अष्टमी तक करे अंत में हवन की दशांश आहुति इस मंत्र से करे साधना में काले वस्र त्रिशूल पूजन अवश्य करे|| या शमशान के शिवालय में शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करा के शिव को लड्डू का भोग धर के पञ्चोपचार पूजन दे कर साधना सम्पूर्ण होने का संकल्प कहे पश्चात साधना में बैठ सकते हैं यह साधना तामसिक विधान से भी किया जा सकता हैं पर यहाँ तामसिक विधान वर्जित हैं || इस साधना से साधक के सर्व कार्य सफल होते हैं शिव की कृपा प्राप्त होती हैं || साधक जनकल्याण करे जीवन सुलभ हो जायेगा ||
यह साधना जानकारी के उद्देश्य से यहाँ दी जा रही हैं बिना गुरु निर्देश के यह साधना ना करे अन्यथा आपके हानि के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे ||
|| जय महाकाल ||
कोई टिप्पणी नहीं:
नई टिप्पणियों की अनुमति नहीं है.