अघोर ब्रम्हास्त्र साधना - Aghor Bramhasra

जय महाकाल -

अघोर ब्रम्हास्त्र साधना -  

अघोर ब्रम्हास्र  मंत्र - 
aghor bramhasra

अघोर ब्रम्हास्त्र साधना - Aghor Bramhasra  

Aghorasra

'   शिव अघोर ध्यान मंत्र "

महास्य माहिकर्णम्मच चंद्रसूर्याग्निलोचनं 
संदष्ट्रं तं  महाजिह्व मूध्र्व वक्त्रं  विचिन्तयेत '


शिव अघोर ब्रम्हास्त्र मंत्र -

ॐ अघोर रुपे श्रीब्रम्ही अवतर -अवतर ब्रम्हास्रं देहि में देहि स्वाहा। .. 


विधि - ब्रम्ह अस्त्र साधना  या फिर पशुपतास्त्र  एवं सिद्धि  बहोत ही जटिल प्रकार की साधना कही जाती हैं ब्रह्मांड में तीन अस्त्र सबसे बड़े माने गए  हैं।.. पहला पशुपतास्त्र।। दूसरा नारायणास्त्र। . एवं तीसरा ब्रह्मास्त्र। .. इन ..तीनों में से यदि कोई भी एक  अस्त्र मनुष्य को सिद्ध हो जाए...  तो उसके सभी कष्टों का दमन हो जाता है।... उसके समस्त कष्ट ..समाप्त हो जाते हैं। परंतु इन मंत्रो की सिद्धि प्राप्त करना इतना  सरल नहीं है।... यदि आपमें कड़ी साधना करने का साहस अथवा  धैर्य नहीं है तो ये साधना आपके लिए  बिलकुल भी नहीं है।  मित्रों। . .. किसी भी प्रकार की साधना करनेके लिए मनुष्य के भीतर साहस धैर्य और मनोबल मजबूत होना अति आवश्यक   है।.तभी आप इन साधनाओ को प्राप्त कर सकते हैं। .. इसमें कोई संदेह नहीं 



संपर्क  -    09207 283 275 




हनुमान शाबर मंत्र साधना -


हनुमान शाबर मंत्र साधना -

यश कीर्ति कारोबार में उन्नति , इस साधना से सफल हो जाते हैं 




व्यापार कारोबार में  लाभ हेतु मंत्र !

  अगर  बहोत मेहनत करने के बाद   भी कारोबार में लाभ नहीं मिल रहा हो,या सारे प्रयास विफल हो रहे हो तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की यह साधना  प्रारंभ करें। और लगातार नित्य  ४०  दिन तक  करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त हो कर  स्नानोपरांत सूर्योदय से पूर्व हनुमान जी को सिंदूर लंगोट मोतीचूर के लड्डू  अर्पित करें। ततपश्चात शुद्घ चंदन का धूप एवं गूगल  जलाकर, घी का दीपक प्रज्जवलित कर एक पाठ सुंदरकांड का करें। साधना शुरू करने से पहले एक माला राम जी के मंत्र की अवश्य करियेगा फिर मूल मंत्र का जाप करे  पूजा के उपरांत मीठा भोजन एवं  दान  गरीब व  कन्याओं को कराएं। और साथ में...निम्न मंत्र का जाप करे। . 

मंत्र 

 
गल खोलूं जल हल खोलूं बंल व्यापार आवे धन अपार। फरो मंत्रा ईश्वरोवाचा हनुमत बचन जुग जुग सांचा। 



विधि -
 हनुमानजी साधना के सर्व नियमो का पालन करते हुए इस दिव्य मंत्र की साधना शुरू करे अपने गुरु निर्देश अवश्य प्राप्त करे 


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महाकाल भैरव तांत्रिक साधना -

जय महाकाल -

मन्त्रः- “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।” विधिः- सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और अत्यन्त प्रभावी है । इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करने चाहिए । १॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए । लाल लूंगी पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजन करें, धूप देकर सब सामान अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक जप करें । यदि कोई कौतुक दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे । ऊपर जहाँ चौका लगाने के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गूग्गूल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें । २॰ उक्त मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड रहे, तो अधिक उत्तम फल होगा । मन्त्र को नित्य २७ बार जपे । चालिस दिन तक जप करें । इस प्रकार उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । नित्य जप के बाद छार, छबीला, कपूर, केसर और लौंग की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी चाहिए । जब भैरव दर्शन दें, तो डरें नहीं, भक्ति-पूर्वक प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लड्डू तथा गुड़ मिला कर दूध बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं । Chat786 chat rooms और पढ़ें : http://mirchifacts.com/kaali-kitab/120.html
महाकाल  भैरव तांत्रिक साधना - 







महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है।इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.., ऐसी मान्यता है।कहा जाता हैं के महाकाल एक ऐसे  देवता हैं   .. जो पूर्णतः दोष रहित हैं अगर सच्चे मैं से इनकी भक्ति की ..  अल्प समय में ही मनुष्यों के कष्टों का निवारण हो कर...  व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त हो जाता हैं। कोई संदेह नहीं  .. ऐसी  इनकी लीला हैं ... किसी भी देवताओं का प्रकोप इनके भक्तों को कभी नहीं सताते। . ये विशेष हैं। . 


   
मंत्र -   " , हूँ हूँ महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा। ... !



विधि -  कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुरुवात करे , जब चंद्र बली हो , तब इस साधना की शुरुवात करे , 
             साधना की विधि सामग्री। ........ ........ इत्यादि रख कर इस साधना को रात्रि काल में करे अधिक फलदायी होगा , काल भैरव की साधना से कई लाभ , हैं , जैसे की अकाल मृत्यु , शत्रु बाधा , गृह पीड़ा , कालचक्र दोष , इत्यादि बाधाओ में कारगर हैं यह साधना , गुरु की आज्ञा लेकर इस साधना का आरंभ करे , अन्यथा लाभ नहीं होगा ,






ईमेल - gurushiromani23@gmail.com

संपर्क 098464 18100  /  09207 283 275




मन्त्रः- “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।” विधिः- सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और अत्यन्त प्रभावी है । इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करने चाहिए । १॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए । लाल लूंगी पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजन करें, धूप देकर सब सामान अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक जप करें । यदि कोई कौतुक दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे । ऊपर जहाँ चौका लगाने के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गूग्गूल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें । २॰ उक्त मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड रहे, तो अधिक उत्तम फल होगा । मन्त्र को नित्य २७ बार जपे । चालिस दिन तक जप करें । इस प्रकार उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । नित्य जप के बाद छार, छबीला, कपूर, केसर और लौंग की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी चाहिए । जब भैरव दर्शन दें, तो डरें नहीं, भक्ति-पूर्वक प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लड्डू तथा गुड़ मिला कर दूध बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं और पढ़ें : file:///C:/Documents%20and%20Settings/fastforward/My%20Documents/Downloads/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%20%E0%A4%AD%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%B5%20%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%B0%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AC%20_%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%82%20%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%A8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%9C%20_%20Jaadu%20Tone%20Ka%20Ilaj%20%20%20Mirchi%20Facts.htm
सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और अत्यन्त प्रभावी है । इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करने चाहिए । १॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए । लाल लूंगी पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजन करें, धूप देकर सब सामान अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक जप करें । यदि कोई कौतुक दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे । ऊपर जहाँ चौका लगाने के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गूग्गूल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें । २॰ उक्त मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड रहे, तो अधिक उत्तम फल होगा । मन्त्र को नित्य २७ बार जपे । चालिस दिन तक जप करें । इस प्रकार उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । नित्य जप के बाद छार, छबीला, कपूर, केसर और लौंग की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी चाहिए । जब भैरव दर्शन दें, तो डरें नहीं, भक्ति-पूर्वक प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लड्डू तथा गुड़ मिला कर दूध बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं और पढ़ें : http://mirchifacts.com/kaali-kitab/120.html
मन्त्रः- “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।” विधिः- सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और अत्यन्त प्रभावी है । इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करने चाहिए । १॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए । लाल लूंगी पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजन करें, धूप देकर सब सामान अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक जप करें । यदि कोई कौतुक दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे । ऊपर जहाँ चौका लगाने के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गूग्गूल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें । २॰ उक्त मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड रहे, तो अधिक उत्तम फल होगा । मन्त्र को नित्य २७ बार जपे । चालिस दिन तक जप करें । इस प्रकार उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । नित्य जप के बाद छार, छबीला, कपूर, केसर और लौंग की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी चाहिए । जब भैरव दर्शन दें, तो डरें नहीं, भक्ति-पूर्वक प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लड्डू तथा गुड़ मिला कर दूध बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं । और पढ़ें : http://mirchifacts.com/kaali-kitab/120.html
मन्त्रः- “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।” विधिः- सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और अत्यन्त प्रभावी है । इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करने चाहिए । १॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए । लाल लूंगी पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजन करें, धूप देकर सब सामान अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक जप करें । यदि कोई कौतुक दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे । ऊपर जहाँ चौका लगाने के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गूग्गूल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें । २॰ उक्त मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड रहे, तो अधिक उत्तम फल होगा । मन्त्र को नित्य २७ बार जपे । चालिस दिन तक जप करें । इस प्रकार उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । नित्य जप के बाद छार, छबीला, कपूर, केसर और लौंग की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी चाहिए । जब भैरव दर्शन दें, तो डरें नहीं, भक्ति-पूर्वक प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लड्डू तथा गुड़ मिला कर दूध बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं । और पढ़ें : http://mirchifacts.com/kaali-kitab/120.html

भयनाशक हनुमंत वीर साधना -

जय महाकाल 


भयनाशक हनुमंत वीर साधना -


मित्रो यह एक ऐसा वीर हनुमानजी का मंत्र हैं , जिसे सिद्ध  करने के बाद कोई भी भय , विघ्न , बाधा यहाँ तक की शमशान  में भी बैठ कर इसका जाप करलो , तो भी कोई भूत , प्रेत , डायन ,नजदीक , भी नहीं आते , कोई डर की गुंजाईश नहीं रहती , बशर्ते इसके नियम का पालन सही तरीके से हो तो , सब कार्यों के सफलता के आसार बढ़ जाते हैं ,







वीर हनुमान मंत्र -
 
ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह  का जबान,
हाथ में लड्डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ नौ खंड का भूत,
जाग जाग हड़मान हुँकाला,
ताती लोहा लंकाला,
शीश जटा डग डेरू उमर गाजे,
वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम,
चोर नार चंपे  ने सींण,
अजरा झरे भरया भरे,
ई घट पिंड  की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर  हड़मान करें।



                       विधि - 



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बगलामुखी भगवती साधना - Bagalamuki Bhagawati sadhna

|| जय महाकाल || 


{ बगलामुखी भगवती  साधना - Bagalamuki Bhagawati  sadhna }

सर्व मनोरथ पूर्णी  माँ बगलामुखी साधना -


।देवी बगलामुखी दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह मां बगलामुखी स्तम्भन  शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं। इन्हीं में संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश है। माता बगलामुखी की उपासना से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय की  प्राप्त होती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथाभक्तों का जीवन हर  प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है..।कथा के अनुसार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण प्रीति पर  हाहाकार मचने लगा और सृष्टि का विनाश होने लगा तथा लोग संकट में पड़ने लगे || और  संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।
इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया।   इसी तप के ..फलस्वरूप सरोवर में से माँ  भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का.. प्रयोग होता है।
  


साधना के नियम  विधि -



विनियोग -


अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।

.ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:। 



- बगलामुखी शाबर मंत्र -
 मलयाचल बगला भगवती, महाक्रूरी महाकराली
राज मुख बन्धनं ग्राम मुख बन्धनं, ग्राम पुरुष बन्धनं ,
काल मुख बन्धनं, चौर मुख बन्धनं, व्याघ्र मुख बन्धनं
सर्व दुष्ट ग्रह बन्धनं, सर्व जन बन्धनं वशिकुरु, हूँ फट स्वाहा | 



ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा: - See more at: http://naidunia.jagran.com/spiritual/kehte-hain-these-rare-spell-of-the-goddess-bagalamukhi-356529#sthash.HLXbp8nQ.dpufमूल मंत्र -  ॐ ह्रीं बगलामुखी जगद वसंकरी ! माँ बगले पीताम्बरे  प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय-पूरय ह्रीं ॐ | सर्व बाधा प्रशमनं त्रैलोकस्या खिलेश्वरी , एवमेव त्वया कार्य मस्य द्वैरी विनाशनं | ॐ ह्रीं बगलामुखी जगद वसंकरी ! माँ बगले पीताम्बरे  प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय-पूरय ह्रीं ॐ |
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा: - See more at: http://naidunia.jagran.com/spiritual/kehte-hain-these-rare-spell-of-the-goddess-bagalamukhi-356529#sthash.HLXbp8nQ.dpuf
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा: - See more at: http://naidunia.jagran.com/spiritual/kehte-hain-these-rare-spell-of-the-goddess-bagalamukhi-356529#sthash.HLXbp8nQ.dpufमंत्र - ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
 

(  यह साधना गुरु निर्देश में करे तो अच्छा होगा  अन्यथा संकट ग्रस्त हो  सकते हो  ) 

- जय महाकाल - 


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वशीकरण तावीज


वशीकरण  तावीज  सर्व कार्य सिद्धि 

जय महाकाल - 







मित्रो आज आपके लिए कुछ विशेष पोस्ट का आयोजन हैं , वोह ये हैं की किसी भी कार्य को अगर सुलभता से पूर्ण करवाना हो  या उस कार्य को अपने मन के मुताबिक अंजाम देना हो , तो  बहोत ही जटिल हो जाता  हैं   , तो ऐसे काम को सफल बना ने का एक मात्र मार्ग हैं , वशीकरण। .!वशीकरण वो प्रक्रिया हैं जिसे सम्मोहन भी कहा जाता हैं , के वशीकरण के जरिये मनुष्य के दिलो दिमाग को अपने ताबे में कर के उससे काम करवाना  , और उससे मन चाहा कार्य करवाना  , अथ : वोह हमारे कहने के मुताबिक काम करे यह  अर्थ भी आप कह सकते हो। .. चलो आपके लिए थोड़ा सा विस्तार से बता देते हैं , वशीकरण द्वारा क्या क्या काम होते हैं। ..*.वशीकरण का  स्तेमाल प्रेम संबंधों को फिर से सुधारने के लिए भी किया जाता है.

*. वशीकरण साधना के द्वारा व्यापार को भी  बढ़ाया जा सकता है.

* वशीकरण के द्वारा समाज में एक अलग जगह या अपनी अलग छवि  बनाई जा सकती है.

* इस विद्या के द्वारा शत्रु को अपना  मित्र बनाया जा सकता है.....!

* वशीकरण के द्वारा मनचाही सफलता प्राप्त की जा सकती है.

*  इसके द्वारा किसी के दिमाग में अपने लिए ख़ास जगह बनाई जा सकती है.

*. सम्मोहन द्वारा पति और पत्नी के बीच सम्बंधों को  फिर से सुधारा  जा सकता है.

*  इसके द्वारा शत्रु को मित्र बनाया जा सकता है.

*   सभा  सम्मोहन के अभ्यास के द्वारा व्यक्तित्व विकास भी किया जा सकता है.

*.  अपने खोये हुए प्रेम सम्बन्ध को वापस पाया जा सकता  हैं.

*.  व्यापारिक समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है.

*   इसके द्वारा अपने नकारात्मक मानसिक स्थितिओं से बहार आ सकते हैं.

*.विशेष कर वशीकरण से देवी देवताओ को भी अपनी ऒर  आकर्षित कर सकते हैं , जिससे आपकी साधना में सफलता प्राप्त करवा सकते हैं 

*. वशीकरण के द्वारा जीवन को बेहतर तरीके से जिया जा सकता है.

वशीकरण को सम्मोहन के नाम से भी जाना जाता है जिसका सरल मतलब होता है किसी को अपने नियंत्रण  में करना अर्थात किसी के दिमाग पे अधिकार करना. 

इस साधना में अक्सर लोग काले जादू का स्तेमाल करते हैं जो की किसी के  जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है अतः ये निवेदन है की बुरी शक्तियों से आप अच्छाई की उम्मीद न रखे अन्यथा हानि होने की आशंका रहती है. 

इस साधना के दौरान नकारात्मक न सोचे और ना ही ऐसे लोगो के साथ रहे जो नकारात्मक सोचते हैं. सही मार्गदर्शन में विचार  करने से वशीकरण में आशातीत  सफलता अवश्य मिलती है.इसमें कोई संदेह नहीं। . कई साधक मित्रों के निवेदन के बाद , हम इस पोस्ट को आपके लिए प्रकाशित कर रहे हैं। ...!

अर्थात हमने कई लोगो की समस्या जानने के बाद यह निर्णय लिया की साधको के लिए , इस वशीकरण तावीज का निर्माण किया जाये , मित्रो इस तावीज का निर्माण विशेष , वस्तु जो की  बहोत ही दुर्लभ होती हैं , उदहारण , के तौर पर कस्तूरी , जो की बहोत ही महँगी और आसानी से ना मिलने वाली वस्तु का इसमें इस्तेमालहोता हैं , उसके पश्चात् और बहोत सारी दिव्य वनस्पति के मिश्रण से इस तावीज को हमारे आश्रम में  तांत्रिक प्रणाली से इसका   निर्माण किया जाताहैं। .. जो की, जो इसे धारण करनेवाला हो उसके नाम से सिद्ध कर के  दिया  जाता हैं , अगर कोई साधक , बंधू , मित्र , या महिला इस तावीज को प्राप्त करना चाहे तो हमारे आश्रम से संपर्क कर के इस तावीज को अवश्य  प्राप्त कर सकते हैं। ... धन्यवाद 

 ( साधक मित्रों से बिनती हैं की इस वस्तु का कदापि  दुरूपयोग ना करे अन्यथा अपने स्वय के नुक्सान के जिम्मेदार आप ही  होंगे। ....धन्यवाद। ...) 



संपर्क  -  09207 283 275




दुश्मन के तबाही का मन्त्र - Distroy Enemy


जय महाकाल -


 दुश्मन के तबाही का मन्त्र - Distroy Enemy


मित्रो आज कल आपने देखा होगा की हर क्षेत्र में दुश्मनो की कमी नहीं  हैं , चाहे वो कारोबार हो , व्यापार हो , धन दौलत कमाने  का मामला हो , या घर की सम्पत्ति का बटवारा हो , या प्रसिद्धि पाने का क्षेत्र हो , या मुल्ला मौलवी के काले इल्म हो, या तांत्रिक , बाबाओं का क्षेत्र हो , सब लोग एक दुसरे को गिरा के ,आगे बढ़ने के लिए क्या क्या तरीके नहीं अपनाते , अपितु अंत में बात अपनी अपनी आत्म रक्षा का हैं , आज कल मित्र मित्रता नहीं जानता , भाई भाई नहीं जानता , बेटा बाप नहीं देखता , बस जिसको देखो वो , अपने स्वार्थ के लिए दूसरे को हानि पहुंचाता हैं , मित्रो आज आपको इस पोस्ट के माध्यम से दुश्मन को कैसे तबाह करना हैं उसका सुलेमानी मंत्र  लिख रहा हूँ , जो की अपनी आत्म रक्षा और दुश्मन के  विनाश के लिए हैं। .यह मंत्र बहोत ही खतरनाक और विनाशकारी हैं , दुश्मन को नेस्त नाबूत कर देता हैं , ( किसी का अहित ना करे , ये मंत्र आपके जानकारी के लिए दिया जा रहा हैं , इसकी विधि गुप्त रखी गयी हैं , ताके ब्लॉग के चोरो से सुरक्षित रखा गया हैं कॉपी पेस्ट करने वालो के किसी काम नहीं आएगा , बल्कि जो कॉपी करेगा उसका विनाश निश्चित हैं , 


विशेष -  (  इसके लिए कुछ चेतावनी हम अवश्य देना चाहेंगे , की इस अमल का कोई दुरूपयोग करेगा वो खुद के हानि के लिए खुद  जिम्मेदार होगा ) ये हमारी और से वार्निंग हैं , ये मंत्र बहोत ही तेज़ हैं और तुरंत असर करता हैं , सावधान रहे ग़लत उपयोग करने पर सजा के हक़ दर  आप स्वयं होंगे ,इसके लिए प्रकाशक या , पोस्ट कर्ता  ज़िम्मेदार  नहीं होंगे।




मंत्र -   ( या इब्लीस या अजाजील उमतारा अक्शेन अक्शेन, अहलन अहलन, महलन महलन ,हल्कन हल्कन ,अहया अशरा हया असबसो अदोनाइ अलाजा असते अलवाहा )




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