|| जय महाकाल आदेश ||
सोमवती अमावस्या की शाबर मन्त्र साधना
साबर सोमवती साधना
जब
बात पूर्णता की हो रही हो तो उसका अर्थ जीवन के दोनों पक्षों से होता है.
अध्यात्मिक क्षेत्र में जहा हम विविध साधनाओ का अभ्यास करते हुए गुरु
चरणों में लिन हो जाए उस तरह जीवन में यह भी जरूरू है की भौतिक पक्ष भी
मजबूत हो. हमें मान सन्मान यश कीर्ति ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सके. भौतिक
जीवन में सफलता के बिना आध्यात्मिक पक्ष में सम्पूर्णता को प्राप्त करने
के लिए प्रयत्नशील होने पर अत्यधिक संघर्षो का सामना करना पड़ता है, वरन
उत्तम तो ये है की हम गृहस्थ और आध्यात्म दोनों को साथ में लेके अपनी
मंजिल की तरफ आगे बढे. साधनाओ के अंतर्गत सभी प्रकार की गृहस्थ समस्याओ के
निराकरण के लिए उपाय है, इसका सीधा अर्थ यही बनता है की साधना मार्ग सिर्फ
आध्यात्मिक उन्नति के लिए नहीं है लेकिन भौतिक पक्ष में भी पूर्ण सफलता
प्राप्त करने के लिए साधनाओ का सहारा लिया जा सकता है. आज के इस युग में
जहाँ एक तरफ द्रव्य का ही बोलबाला है, जीवन के लिए एक उत्तम आय का स्त्रोत
होना अत्यधिक जरुरी हो चूका है. लेकिन कई बार यु होता है की व्यक्ति विशेष
को अपनी काबिलियत होने पर भी अपने कार्य क्षेत्र में योग्य पद या काम नहीं
मिल पता है. या फिर काम मिलने पर भी कई प्रकार की बाधाए अडचने आने लगती
है. कई बार योग्य जगह काम मिलने पर भी वेतन की समस्या होती है. कई लोगो की,
खास कर के वह विद्यार्थी जो की अपनी पहली नौकरी की तलाश में हो उन्हें भी
यह चिंता बराबर बनी रहती है की उन्हें यथायोग्य काम मिले जो की भविष्य में
उनकी प्रगति के लिए एक आधार स्तंभ बने.
साबर
साधनाओ में एसी कई साधनाए प्राप्त होती है जो की इस प्रकार के उद्देश्य
में पूर्णता प्राप्त करने के लिए साधको का मार्ग प्रसस्त करती है. आगे की
पंक्ति में भी एक एसी ही अद्भुत साधना दी जा रही है. इस साधना को करने पर
साधक को योग्य काम मिलने में जोभी अडचने हो दूर हो जाती है, योग्य
मनोकुलित व् प्रगति वर्धक स्थान पर नौकरी मिलती है. अगर किसीको अपनी नौकरी
में किसी प्रकार की समस्या भी हो तो भी यह साधना से वह दूर होती है.
संस्क्षेप्त में कहा जाए तो यह साधना काम व् नौकरी की हर समस्याओ को दूर
करने क लिए ही बनी है.
इस साधना को साधक सोमवार मंगलवार शुक्रवार या शनिवार से शुरू कर सकते है
समय रात्रि के १० बजे बाद का रहे, दिशा उत्तर रहे.
रात्रि
में स्नान करने के बाद सफ़ेद वस्त्र को धारण करे. इसके बाद अपने पूजा
स्थान में बैठ कर के गुरु पूजन सम्प्पन करे और सफलता प्राप्ति के लिए
प्रार्थना करे.
उसके बाद निम्न मंत्र का १०८ बार उच्चारण करे
मंत्र : ओम
सोमावती भगवती बरगत देहि उत्तीर्ण सर्व बाधा स्तम्भय रोशीणी इच्छा पूर्ति
कुरु कुरु कुरु सर्व वश्यं कुरु कुरु कुरु हूं तोशिणी नमः
यह जाप सफ़ेद हकीक माला से हो और उस माला को मंत्र जाप के बाद धारण कर ले.
यह
क्रम पुरे ११ दिन तक रहे. इस साधना में रात्रि में भोजन करने से पहले थोडा
खाध्य पदार्थ गाय को खिलाना चाहिए. ऐसा करने के बाद ही भोजन करे. अगर यह
संभव न हो तो रात्रि में भोजन न करे.
इस साधना पूरी होने पर माला को विसर्जित नहीं करना चाहिए तथा गले में धारण करे रखना चाहिए.
यह साधना का करिश्मा है की यह साधना करने पर कुछ ही दिनों में यथायोग्य परिणाम प्राप्त होने लगते है.गुरु परामर्श - +91 9207283275