जय महाकाल
ऋद्धि-सिद्धि के लिए श्री गणपति -एवं लक्ष्मी की उपासना
मित्रो अगर लाख कोशिश करने के बाद भी अगर घर में धन का संचय न हो रहा हो या अगर घर में आर्थिक स्थिति ठीक न हो तो मायूस होने की जरुरत नहीं स्वच्छ और निर्मल भाव से इस साधना को करे निश्चित ही आप को परिवर्तन नजर आयेगा इसमें कोई विशेष विधि विधान की जरुरत नहीं बशर्ते दृढ़ संकल्प और यथाशक्ति श्रद्धा की जरुरत हैं
‘कलौ
चण्डी-विनायकौ’- कलियुग में ‘चण्डी’ और ‘गणेश’ की साधना ही श्रेयस्कर है।
सच पूछा जाए, तो विघ्न-विनाशक गणेश और सर्व-शक्ति-रुपा माँ भगवती चण्डी के
बिना कोई उपासना पूर्ण हो ही नहीं सकती। ‘भगवान् गणेश’ सभी साधनाओं के मूल
हैं, तो ‘चण्डी’ साधना को प्रवहमान करने वाली मूल शक्ति है। यहाँ भगवान्
गणेश की साधना की एक सरल विधि प्रस्तुत है।
वैदिक-साधनाः
यह
साधना ‘श्रीगणेश चतुर्थी’ से प्रारम्भ कर ‘चतुर्दशी’ तक (१० दिन) की जाती
है। ‘साधना’ हेतु “ऋद्धि-सिद्धि” को गोद में बैठाए हुए भगवान् गणेश की
मूर्ति या चित्र आवश्यक है।
विधिः
पहले ‘भगवान् गणेश’ की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। फिर अपने हाथ में एक
नारियल लें और उसकी भी पूजा करें। तब अपनी मनो-कामना या समस्या को स्मरण
करते हुए नारियल को भगवान् गणेश के सामने रखें। इसके बाद, निम्न-लिखित
स्तोत्र का १०० बार ‘पाठ‘ करें। १० दिनों में स्तोत्र का कुल १००० ‘पाठ‘
होना चाहिए। यथा-
स्वानन्देश गणेशान्, विघ्न-राज विनायक ! ऋद्धि-सिद्धि-पते नाथ, संकटान्मां विमोचय।।१
पूर्ण योग-मय स्वामिन्, संयोगातोग-शान्तिद। ज्येष्ठ-राज गणाधीश, संकटान्मां विमोचय।।२
वैनायकी महा-मायायते ढुंढि गजानन ! लम्बोदर भाल-चन्द्र, संकटान्मां विमोचय।।३
मयूरेश एक-दन्त, भूमि-सवानन्द-दायक। पञ्चमेश वरद-श्रेष्ठ, संकटान्मां विमोचय।।४
संकट-हर विघ्नेश, शमी-मन्दार-सेवित ! दूर्वापराध-शमन, संकटान्मां विमोचय।।५
उक्त
स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व अच्छा होगा, यदि निम्न-लिखित मन्त्र का १०८
बार ‘जप’ किया जाए। यथा- “
ॐ श्री वर-वरद-मूर्त्तये वीर-विघ्नेशाय नमः ॐ”
साधना-काल
में (१० दिन) साधना करने के बाद दिन भर उक्त मन्त्र का मन-ही-मन स्मरण
करते रहें। ११ वें दिन, पहले दिन जो नारियल रखा था, उसे पधारे (फोड़कर)
‘प्रसाद’ स्वरुप अपने परिवार में बाँटे। ‘प्रसाद’ किसी दूसरे को न दें।
इस साधना से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। सभी समस्याएँ, बाधाएँ दूर होती है।
***************
दुर्भाग्य नाशक लक्ष्मी प्राप्ति का दिव्य मंत्र पाठ
( अस्थिर लक्ष्मी स्थिर करण्याचा लक्ष्मी मंत्र )
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णुवल्लभे
यथा त्वमचलाकृष्णे तथा भव मयि स्थिरा
इश्वरी कमला लक्ष्मिश्चला भर्तुहरिप्रिया
पद्मा पद्मालय संपदुचै श्री पद्मधारिणी
द्वादशैतानी नामानी लक्ष्मीं सपुज्य य: पठेत
स्थिरा लक्ष्मी :भवेतस्व पुत्र दरादिभि : सह
ॐ र्र्हीं दूँ दुर्गे स्मृता हरसी
भितिमशेष जन्तो :स्वस्थै स्मृता
मतिमतीव शुभां ददासि
यदंती यच्च दूरके भयं विदन्ति
मामिह पवमानवितम् जही
दारिद्र्य दुख:भयहरिणी का
त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय
सद्रार्द चित्ता स्वाहा...
विधिक़र्ज़ मुक्ति आर्थिक स्थिति सुधरने के लिए चंचल
लक्ष्मी स्थिर करने के लिए इस पाठ को नित्य कीजिये
सुबह शाम कीजिये घी का निरंजन जलाके देवी का पाठ करे
----------------------------
लक्ष्मी स्थिर करने के लिए इस पाठ को नित्य कीजिये
सुबह शाम कीजिये घी का निरंजन जलाके देवी का पाठ करे
----------------------------
अन्य मंत्र : लक्ष्मी यक्शनी मंत्र
ॐ ऐं लक्ष्मीं श्रीं कमलधारिणी कलहंसी स्वाहा :
ॐ ऐं लक्ष्मीं श्रीं कमलधारिणी कलहंसी स्वाहा :
मनोकामना धर के छःमॉस तक नित्य जाप करते रहे
चमत्कारिक परिवर्तन नज़र आयेगा पैसे की बरकत के योग बनना शुरू होजायेगा ..इसमें कोई संदेह नहीं। ....
सम्पर्क - +91 9207 283275