जय महाकाल -
नवनाथ पंथी अन्नपूर्णा शाबर मंत्र साधना -
मंत्र -
ॐ नमो गुप्त वीर मंजन , सबको ठा यही तेरी आन गंगा की लहर
जमुना की प्रवाणाया कुठार राजा भण्डार ,राजा प्रजा लागे हैं पांच राति
रिद्धि लाओ तो नवनाथ चौरासी सिद्धि का पात्र भरो ,हमारा जो पात्र
ना भरो तो पार्वती का क्षीर चोखा हराम करो। ..
मित्रो यह साधना प्राचीन नाथ पंथी लोगों की हैं , इस मंत्र को उचित नियम के अनुसार करेंगे। .. तो आपके घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होगी , सदैव आपका भण्डार घर भरा रहेगा। .. कभी खाली नहीं रहेगा इस प्रकार की साधना हर एक के लिए अति आवश्यक हैं। .. क्यों की इंसान लाख धन दौलत हिरे ,,मोती, सोना, चांदी, जवाहरात कमा ले। .. मगर बिना अन्न के वोह जीवित नहीं रह सकता। .. यह शाबर मन्त्र हैं इस साधना को स्त्री , पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। .. साधना को किसी भी पर्व काल में सिद्ध कर सकते हो। .. जैसे की दिवाली , चौदस , अमावस , पूनम की रात्रि में ११:३० के बाद इस साधना को। .. शुरू करे। ... साधना में शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक जला कर , धुप दिप , पुष्प इत्यादि। .. रख। . मंत्र को एक ही बैठक में। .. ५४०० बार जाप करना हैं। .. जाप शुरू करने से पहले गुरु से आशीर्वाद , उनकी अनुमति अवश्य ले। तब ही मंत्र सिद्धि अपेक्षित हैं। .. . अन्यथा मंत्र लाभ नहीं करेगा। ...
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