शत्रु मारण प्रयोग

जय महाकाल - 



शत्रु मारण  प्रयोग -


जय महाकाल मित्रों आज के दौर में हर प्रकार की स्पर्धा हो गयी हैं , एक दूसरे से आगे बढ़ने  की होड़ लगी हुई हैं ,ऐसे ही जीवन शैली के चलते व्यक्ति के दुश्मन , यानी शत्रुओं का बढ़ना लाजमी हैं , और जब शत्रु बढ़ जाते तब उनका निबटारा करना भी जरुरी हैं। .. मितरो यहाँ जो मंत्र दिया जा रहा हैं वह मंत्र एक बहोत ही शक्ति शाली मंत्र हे। . अगर ना हक़ किसी पर प्रयोग करोगे। .. तो तुम्हारा अपना विनाश तय होगा इसमें कोई संशय नहीं। .. क्यों की जब मारन मंत्र चलता हैं। .. तो दीखता नहीं। .. मगर मेहसूस  जरूर किया जाता हैं| जैसे  की सांसे बंद हो रही हैं , और दिल की धड़कन बढ़ रही हैं , पसीने छूटरहे  हैं , हाथ पैरों में कम्पन होना  इत्यादि इसके लक्षण के पश्चात् व्यक्ति की मौत निश्चित हैं। .. मित्रो इस प्रकार के मन्त्रों को चलाने से पहले अपने गुरु का मार्गदर्शन अवश्य  ले और उनके निर्देशन  में ही इस साधना को करे। .. अन्यथा स्वयं के हानि के जिम्मेदार आप खुद होंगे 




काल रात्रि  का मारण मंत्र- 

ॐ  काली काली महाकाली, इंद्र की बेटी बम्हा की साली, जा बैठी पीपल की डाली हाली हिलावे घाली घलाव , मेरा चोर हरामखोर हार की थाली शिशको पसारा, माथे जटा कारे महाकाली ,मेरी भक्ति गुरु की शक्ति देखो महाकाली तेरे मंत्र की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा


विधी-

मित्रो इस साधना का क्रम ४१  दिन का है, इस साधना को  मशान में काल रात्रि को किया जाता हैं , इस मंत्र का जाप शमशान में मध्य रात्रि से शुरूकिया जाता हैं , इस साधना को करने के लिए सम्पूर्ण सामग्री की आवशकता होती हैं| जब तक इस मंत्र का पूरा विधि विधान नहीं होगा तब तक मंत्र सिद्ध नहीं होगा |   गुरु दीक्षा निर्देश के अनुसार करें इस मंत्र को बिना गुरु के निर्देश के ना करे।।





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