कर्ण पिशाचिनी अघोर साधना -२

जय महाकाल -



Karna Pisachini कर्ण  पिशाचिनी अघोर साधना -


जय महाकाल -  मित्रो   आज की प्रस्तुत  साधना कर्णपिशाचिनी की हैं जो की  अघोर पद्धति की हैं | मित्रो यह साधना आप सब के समक्ष सिर्फ जानकारी हेतु दे रहे हैं | इसे करने की अनुमति सिर्फ गुरु निर्देशन में रह कर करनेकी हैं  | अन्यथा आपको अगर कोई हानि होती हैं तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं ही होंगे |  बहोत से मित्र खोजते रहते हैं की | उन्हें भूत भविष्य वर्तमान की बात पता चले और वे उनसे काम ले | पर ऐसा नहीं होता क्यों की इस साधना के लिए बहोत कष्ट और  नियमो का पालन करना पड़ता हैं | यह एक वाम मार्गी साधना हैं उग्र हैं जान की जोखिम हैं थोड़ी सी भी गलती आपकी जान ले सकती हैं | इसीलिए कहा गया हैं के यह साधना गुरु निर्देशन में रह कर करना चाहिए | इस साधना को कदापि  घर में ना करे | अन्यथा घर का माहौल बिगड़ जायेगा | जब तक इसकी साधना करोगे तब घर का वातावरण अस्त व्यस्त हो जायेगा | इसी लिए इस साधना को किसी निर्जन स्थान , खंडर , या एकांत नदी किनारे शमसान में , अथवा वृक्ष पर चढ़ कर करे। 

karna pisachin

कर्ण पिशाचिनी अघोर मन्त्र -

ॐ कर्ण पिशाचिनी श्मसानवासिनी महादेव्यै रतिप्रिये काल ज्ञान ज्ञानिनी स्वप्न कामेश्वरी पद्मावती त्रैलोक्य वार्ता कथय कथय स्वाहा | 

साधना विधि - 

जिस दिन आपका चंद्र बलि हो  दिन से ही साधना शुरू करे , काले वस्र , आसन काले भेड़ के उन का आसन 
काले हकीक की माला , या  रुद्राक्ष की माला , काला वस्र , एक लकड़ी का बाजोट , एक मिटटी का बड़ा सा दिया , सरसों का तेल , अगरबत्ती , तिलक के लिए सिन्दूर , अपने समक्ष रख कर , अमावस  की रात से साधना का आरम्भ करे , नित्य ५१००  माला उक्त मन्त्र का जाप करना हैं ४१ दिन तक  | जब साधना में ना हो तब हमेशा जाप के ध्यान  रहे | साधना में स्नान आदि वर्जित हैं | खुशबु त्यागना हैं | भोजन के पश्चात् बर्तन नहीं धोना हैं | जितना हो सके हविष्यान्न और दुग्ध प्रयोग में लाये | जाप को काम भाव एवं मलिन आत्मा से करना हैं | 
अंतिम दिन दशांश का हवन करना हैं | और बिना रजस्वाला कन्या को भोजन आदि करवाकर लाल वस्र भेंट अर्पण करना हैं |  साधना के अंतिम दिन वह प्रगट होकर वर मांगने को कहेगी | 
उसे अपने वचन  करारबद्ध कर ले | 

मित्रो यह साधना बहोत ही  उग्र हैं अपने गुरु निर्देश में रहकर यह साधना करे इस साधना में पागल होने का खतरा बहोत ज्यादा हैं सावधानी बरते अन्यथा हानि की जिम्मेदर स्वयं होंगे 





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