माँ धूमावती मंत्र : स्वरूप, उत्पत्ति और साधना ,संकट से मुक्ति,



जय महाकाल आदेश
 

माँ धूमावती मंत्र : स्वरूप, उत्पत्ति और साधना ,संकट से मुक्ति:–


धूमावती मंत्र दश महाविद्या

मंत्र –
ॐ काग दत्तो बिकोवा।धड़ित धड़ धडात।ध्यायमान भवानी दैत्यनाम।
देहनाशनाम तोड्यांती।पिशाचा त्रिहाप त्रिहाप हसंती।खड़त खद खदात।
त्रिरोष मम धूमावती ।नौ नाथ चौरासी सिद्धों के बीच बैठकर धूमावती मंत्र स्वाहा:


माँ धूमावती मंत्र : स्वरूप, उत्पत्ति और साधना ,संकट से मुक्ति:–

दस महाविद्याओं में माँ धूमावती का स्थान सातवाँ माना गया है। उनका स्वरूप अत्यंत उग्र, रहस्यमय और वैराग्य से युक्त है। वे उस शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं जो अभाव,
विरक्ति, धैर्य और गहन तप से जुड़ी हुई है। यद्यपि उनका स्वरूप भयावह माना जाता है, फिर भी वे लक्ष्मी स्वरूपा हैं, अर्थात् कठिन परिस्थितियों में भी साधक को आत्मबल,
विवेक और आंतरिक शक्ति प्रदान करती हैं।

माँ धूमावती की उत्पत्ति से जुड़ी मान्यताएँ:

माँ धूमावती की उत्पत्ति को लेकर अनेक पौराणिक और लोक मान्यताएँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित
नहीं किया गया। माता सती ने इसे शिव का अपमान माना और यज्ञ अग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया। उस अग्नि से उठने वाला धुआँ ही माँ धूमावती के रूप में प्रकट हुआ।
इसी कारण उनका नाम “धूमावती” पड़ा, अर्थात् धुएँ से उत्पन्न देवी।

कुछ अन्य कथाएँ उन्हें अलक्ष्मी या दरिद्रता की देवी भी कहती हैं, किंतु तांत्रिक परंपरा में वे केवल अभाव की नहीं, बल्कि संकटों से उबारने वाली महाशक्ति मानी जाती हैं।
वे साधक को जीवन के कठोर सत्य से परिचित कराती हैं और आंतरिक भय, भ्रम व शत्रुत्व से मुक्त करने में सहायक होती हैं।

नाथ संप्रदाय और माँ धूमावती
नाथ संप्रदाय में माँ धूमावती की विशेष उपासना का उल्लेख मिलता है। प्रसिद्ध योगी और सिद्ध चरपटनाथ को माँ धूमावती का उपासक माना जाता है। उन्होंने माँ धूमावती पर
अनेक ग्रंथों की रचना की और शाबर मंत्रों की परंपरा को आगे बढ़ाया। नाथ योगियों के लिए धूमावती साधना अत्यंत गोपनीय और प्रभावशाली मानी जाती है।

शाबर धूमावती मंत्र
माँ धूमावती से संबंधित शाबर मंत्र अत्यंत प्राचीन और प्रभावी माने जाते हैं। ये मंत्र सामान्य वैदिक मंत्रों से भिन्न होते हैं और लोकभाषा व सिद्ध परंपरा से जुड़े होते हैं।
इन मंत्रों का प्रयोग साधक द्वारा आत्मरक्षा, बाधा निवारण और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति के उद्देश्य से किया जाता है।

शाबर धूमावती साधना किस लिए करनी चाहिए:–
यह साधना मुख्य रूप से उन साधकों के लिए बताई जाती है, जो अपने जीवन में:

जब साधक को लगता हो लगातार विरोध,मानसिक दबाव,नकारात्मक प्रभाव,या बाहरी बाधाओं से परेशान हों।
इस साधना का उद्देश्य किसी को हानि पहुँचाना नहीं, बल्कि साधक को नकारात्मक शक्तियों, शत्रुतापूर्ण भावनाओं और बाधाओं से सुरक्षित करना है।

शाबर धूमावती साधना की विधि:·

यह साधना ३१ दिनों तक की जाती है।

साधना विधि इस प्रकार है:

इस मंत्र को नवरात्रि, गुप्त, नवरात्रि या शाकंभरी नवरात्री में किया जा सकता है 
प्रतिदिन रात 10 बजे के बाद मंत्र जप करें।मंत्र का 11 माला (रुद्राक्ष की माला से) जप करें।सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।माँ को हलवा या कुछ मीठा  का भोग अर्पित करें।
जप घर के बाहर या एकांत स्थान पर किया जाए।साधना के नियमसाधक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।आसन के लिए काला कंबल प्रयोग करें।माला केवल
रुद्राक्ष की हो।साधना की शुरुआत मंगलवार से करें।साधना के समय मन शांत, संयमित और एकाग्र रखें।साधना पूर्ण होने के बाद ३१दिनों की साधना पूर्ण होने के पश्चात विशेष हवन करना हे उग्र सामग्री
द्वारा जो यहां लिखना ठीक नहीं है अगर कोई साधक इच्छूक हो उसे बता दिया जाएगा

अगले ३१दिनों तक प्रतिदिन माँ धूमावती की प्रार्थना करें।यदि किसी विशेष परिस्थिति में तुरंत मानसिक शक्ति की आवश्यकता हो, तो मंत्र का 108 बार जप करके माता से संरक्षण
की प्रार्थना करें।

उद्देश्य:–
माँ धूमावती की साधना अत्यंत गंभीर और गूढ़ साधना मानी जाती है। यह केवल श्रद्धा, अनुशासन और संयम के साथ ही फलदायी होती है। यह साधना साधक को बाहरी संघर्षों के
साथ-साथ आंतरिक भय और दुर्बलताओं से भी मुक्त करने में सहायक मानी जाती है। माँ धूमावती का मार्ग कठिन अवश्य है, परंतु सत्य, धैर्य और आत्मबल की ओर ले जाने वाला है।

( कोई भी दस महाविद्या की उग्र साधना गुरु निर्देश में करने का प्रयास करे सफलता के आसार अधिक और खतरा नामशेश रहेगा )

जय महाकाल आदेश 

गुरुजी – 9207283275