-जय महाकाल -
अति दुर्लभ गौरी शंकर रुद्राक्ष
साधक मित्रों गौरी शंकर रुद्राक्ष यह भाग्यवंत को ही प्राप्त होता हैं। जिन पर भगवन महादेव की कृपा हो वो अति शीघ्र ही इसका लाभ कर पाते हैं। यह मिलना बहोत ही दुर्लभ होता हैं जो आसानी से नहीं प्राप्त होता
यह शिव पार्वती का स्वरूप है। घर, पूजा ग्रह अथवा तिजोरी में मंगल कामना सिद्धि के लिये रखना लाभदायक है। इसे उपयोग में लाने से परिवार में सुख-शांति की वृद्धि होती है वातावरण शुद्ध बना रहता है। गले में धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
शव उवाच - श्रृणु षणमुख तत्त्वेन वक्त्रे वक्त्रे तथा फलम्।
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एकवक्त्रः शिवः साक्षाद्ब्रह्राहत्यां व्यपोहति।।
शिवजी स्वयं कार्तिकस्वामी से कह रहे हैं-हे षड़मुख ! कितने मुख वाला रुद्राक्ष किस प्रकार के फल को देने वाला है उसे ध्यान से सुनो ! एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात् मेरा ही स्वरूप है तथा यह ब्रह्महत्या व पाप को दूर करने वाला है। गौरीशकर रुद्राख सर्वसिद्धि प्रदाता रुद्राक्ष कहा गया है। यह सात्त्विक शक्ति में वृद्धि करने वाला, मोक्ष प्रदाता रुद्राक्ष है। जिसके घर में यह रुद्राक्ष होता है वहां लक्ष्मी का स्थाई वास हो जाता है तथा उसका घर धन-धान्य, वैभव, प्रतिष्ठा और दैवीय कृपा से भर जाता है। संक्षेप में यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को देने वाला चतुर्वर्ग प्रदाता रुद्राक्ष है।
गौरीशंकर रुद्राक्ष में दो रुद्राक्ष के दानें परस्पर जुड़े होते हैं इन्हें गौरीशंकर रुद्राक्ष कहते हैं। गौरीशकर रुद्राक्ष सभी लग्न के जातकों के लिए शुभ माना गया है इसे धारण करने से अनेक लाभ होता है।
उपयोग से लाभ
गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से अभक्ष्य-भक्षण और पर स्त्री गमन जैसे- जघंन्य अपराध भी भगवान शिव द्वारा नष्ट होता है।
इसे धारण करने से अनेक विपरीत लिंग के लोग आकर्षित होते हैं तथा उनका सुख प्राप्त होता है।
यह रुद्राक्ष धनागमन एवं व्यापार उन्नति में अत्यन्त सहायक माना गया है
गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से पुरुषों को स्त्री सुख प्राप्त होता है तथा परस्पर सहयोग एवं सम्मान तथा प्रेम की वृद्धि होती है।
यह रुद्राक्ष शिवभक्ति के लिए अधिक उपयोगी माना गया है भगवान शिव और मां शक्ति इस रुद्राक्ष में निवास करती हैं।
निर्देष
प्रत्येक रुद्राख में अंतर्गभित विद्युत तरंगे होती हैं तथा इन अंतर्गर्भित विद्वुत तरंग शक्ति का पता उसकी धारियों की संख्या के अनुसार चलता है। अलग-अलग मुख अलग-अलग परिणाम के देने वाले होते हैं तथा उनको एक विशिष्ट नाम से भी संबोधित किया जाता है। रुद्राक्ष सामान्यतः इक्कीस मुख तक पाए जाते हैं परंतु पंद्रह से इक्कीस मुख के दाने प्रायः दुर्लभ होते हैं।
कुछ चालाक व्यक्ति दो रुद्राक्षों को काटकर सफाई से वापस जोड़कर उनके कई मुख बना देते हैं इसी प्रकार से कई लोग गौरीशंकर रुद्राक्ष भी बना डालते हैं। शास्त्रकारों ने चैदह मुख तक के रुद्राक्ष का ही वर्णन किया है। शिवपुराण एवं रुद्राक्षजाबालोपनिषद् रुद्राक्ष के फल महत्त्व एवं उपासना हेतु प्रमाणिक ग्रंथ माने जाते हैं।
गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव एवं माँ पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है | इसके धारण करता को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है | यह रुद्राक्ष गृहस्थ सुख के लिए अति शुभ माना गया है क्योंकि जिन भगवान शिव और माँ पार्वती के 36 गुण मिलते थे यह रुद्राक्ष उन्हीं का स्वरुप है इसलिए जिन कन्याओं के विवाह में विलंब हो रहा है, बहुत प्रयास करने के बाद भी अच्छा रिश्ता ना मिल रहा हो उन कन्याओं को यह रुद्राक्ष अति शीघ्र धारण करना चाहिए और जिन कन्याओं का विवाह तो हो चुका है लेकिन गृहस्थ सुख की किसी भी रूप में कमी हो रही है तो उन स्त्रियों के लिए भी गौरी शंकर रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदायक माना गया है | जिन स्त्रियों को गर्भ से सम्बंधित कोई समस्या हो उनके लिए भी यह लाभकारी हो सकता है | पारिवारिक शांति और वंश वृद्धि में भी यह रुद्राक्ष सहायक माना गया है | गौरी शंकर रुद्राक्ष बाज़ार में नकली भी बनाए जाते हैं इसलिए विश्वसनीय स्थान से ही खरीद के धारण करने चाहिए | पुरुषों को इस रुद्राक्ष को चांदी की कटोरी में स्थापित करके केमिकल रहित सुगन्धित द्रव्य से अभिमंत्रित करना चाहिए | पुरुषों को सभी रुद्राक्ष का कंठा धारण करने के अतिरिक्त इस रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए | यह रुद्राक्ष शिव पार्वती के आशीर्वाद से अर्धनारीश्वर का स्वरुप है इसलिए सभी उम्र की स्त्रियों को इसे धारण करना चाहिए ताकि जीवन में हर प्रकार की सुख शान्ति प्राप्त की जा सके |
इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात एक माला नित्य “ॐ अर्ध्नारिश्वराए नमः” की जाए तो अति उत्तम फल की प्राप्ति अति शीघ्र कराने में इस रुद्राक्ष का कोई मुकाबला नहीं है |
अगर कोई साधक इस रुद्राक्ष को प्राप्त करने इच्छुक हो वो हमसे अवश्य प्राप्त कर सकता हैं। ..
संपर्क - +91 9207 283 275
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